बीजेपी के लिए ये उपचुनाव इसलिए अहम हैं क्योंकि इनमें से तीन सीटें बीजेपी और चौथी नगालैंड सीट इसकी सहयोगी दल के पास रही हैं.
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कर्नाटक में एक तरह से सियासी पटाक्षेप होने के बाद बीजेपी और विपक्ष के बीच अगली लड़ाई 28 मई की तरफ शिफ्ट हो गई है. ऐसा इसलिए क्योंकि उस दिन कैराना (यूपी), पालघर (महाराष्ट्र), भंडारा-गोंडिया (महाराष्ट्र) और नगालैंड लोकसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं. बीजेपी के लिए ये उपचुनाव इसलिए अहम हैं क्योंकि इनमें से तीन सीटें बीजेपी और चौथी नगालैंड सीट इसकी सहयोगी दल के पास रही हैं. ऐसे में कर्नाटक चुनावों के बाद बढ़ती विपक्षी एकजुटता और बदलती सियासी परिस्थितियों में बीजेपी पर इन सीटों को बचाने का जहां दबाव बढ़ गया है, वहीं विपक्ष को लोकसभा चुनावों से पहले अपनी एकजुटता दिखाने का एक और मौका मिल गया है.
ये लोकसभा उपचुनाव इसलिए भी अहम हो गए हैं क्योंकि कर्नाटक से बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्पा और बी श्रीरामुलु के लोकसभा से इस्तीफे के बाद पार्टी के पास महज 272 सीटें बची हैं. बहुमत के लिए यही अंक जादुई माना जाता है. पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को अपने दम 282 सीटें मिली थीं. उसके बाद से कई लोकसभा उपचुनावों में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है. ऐसे में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच होने जा रहे अगले चुनावी समर की सीटों पर आइए डालते हैं एक नजर:
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कैराना (यूपी)
बीजेपी सांसद और गुर्जर नेता हुकुम सिंह के निधन के कारण यह सीट रिक्त हुई है. पार्टी ने उनकी बेटी मृगांका सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है. गोरखपुर और फूलपुर में सपा-बसपा तालमेल की तर्ज पर यहां भी विपक्ष ने एकजुटता दिखाते हुए अपने प्रत्याशी को उतारा है. यहां अजित सिंह की पार्टी रालोद (RLD) ने महिला प्रत्याशी तबस्सुम हसन को उतारा है. सपा ने इनको समर्थन दिया है. जाट-मुस्लिम तनाव और सियासी रसूख के लिए जाट-गुर्जर प्रतिद्वंद्विता के बीच यह मुकाबला होने जा रहा है. गोरखपुर और फूलपुर में बीजेपी की चौंकाने वाली हार के बाद सीएम योगी और पीएम मोदी के लिए यह अगली अग्निपरीक्षा है.
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पालघर (महाराष्ट्र)
आदिवासी बाहुल्य सीट है. बीजेपी सीट चिंतामणि वंगा के निधन के कारण सीट खाली हुई. अब उनके बेटे श्रीनिवास वंगा को शिवसेना ने यहां से मैदान में उतारा है. बीजेपी ने कांग्रेस से पाला बदलकर आए राजेंद्र गावित पर दांव लगाया है. सीधा मुकाबला बीजेपी और शिवसेना के बीच माना जा रहा है. शिवसेना भले ही केंद्र और राज्य में बीजेपी की सहयोगी पार्टी है लेकिन उसने पहले ही लोकसभा चुनावों में अलग चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी थी. इस कारण यहां पर बीजेपी और शिवसेना एक-दूसरे के आमने-सामने हैं.
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भंडारा-गोंडिया (महाराष्ट्र)
बीजेपी सांसद नाना पटोले ने मोदी सरकार पर किसानों की अनदेखी का आरोप लगाते हुए पार्टी से इस्तीफा दे दिया था. उसके बाद उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली. इस बार यहां पर सीधा मुकाबला बीजेपी और शरद पवार की एनसीपी के बीच माना जा रहा है. बीजेपी ने यहां से हेमंत पाटले और एनसीपी ने मधुकर कुकडे को मैदान में उतारा है. लेकिन कुछ दिन पहले एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि मधुकर को 2019 में लोकसभा टिकट नहीं दिया जाएगा, उनकी इस घोषणा से माना जा रहा है कि मधुकर को यहां नुकसान हो सकता है.
नगालैंड
नॉर्थ-ईस्ट के इस प्रांत की इस एकमात्र सीट पर बीजेपी की सहयोगी पीपुल्स डेमोक्रेटिक अलायंस के नेता नेफियो रियू यहां से जीते थे. लेकिन नगालैंड का मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने ये सीट छोड़ दी. इस गठबंधन ने तोखेयो येपथोमी को अपना प्रत्याशी बनाया है. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस-नगा पीपुल्स फ्रंट ने सीए अपोक जमीर को अपना प्रत्याशी बनाया है. इनके अलावा कई विधानसभा सीटों पर भी चुनाव 28 मई को ही होंगे.