नई दिल्ली: Varanasi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी लोकसभा सीट से तीसरी बार नामांकन दाखिल कर दिया है. इससे पहले वे 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं. पीएम मोदी अक्सर काशी से अपने रिश्ते के बारे में बताते हैं. लेकिन वारणसी से पूर्व PM अटल बिहारी वाजपेयी से भी खास नाता रहा है.
जब RSS पर लगा था बैन, अटल बनारस आए
दरअसल, 1947 में देश के आजाद होने के बाद एक ऐसी घटना हुई, जिसके चलते RSS पर बैन लग गया था. उस दौरान इससे जड़े कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया जाने लगा था. तब अटल भी RSS से जुड़े थे. ऐसे बुरे समय में अटल बिहारी वाजपेयी बनारस आए. यहां वे दूध विनायक मुहल्ले में छिपकर रहने लगे थे. अटल यहीं रहकर संघ की पाक्षिक पत्रिका चेतना का पब्लिकेशन करने लगे.
BHU में अटल ने दिया भाषण, रुकी नहीं तालियां
साल 1996 का भी एक किस्सा मशहूर है. BHU छात्रसंघ का उद्घाटन करने के लिए अटल को बुलाया गया था. तब वे लोकसभा में विपक्ष के नेता थे. ये फरवरी का महीना था. शाम को मंद-मंद हवा चल रही थी. BHU का एम्फीथिएटर मैदान खचाखच भरा हुआ था. तब पाकिस्तान की PM बेनजीर भुट्टो हुआ करती थीं. तब वे अक्सर भारत के खिलाफ शक्ति प्रदर्शन करने की बात किया करती थीं. अटल ने इस सभा में बेनजीर भुट्टो को जवाब दिया. अटल ने कहा, 'पड़ोसन को बता दो, हमने परमाणु हथियार ड्राइंग रूम में सजाने के लिए नहीं बना रखा.' इसके बाद पूरी सभा तालियों से गूंज उठी. कहते हैं कि रात साढ़े 11 बजे तक वाजपेयी भाषण देते रहे.
भाजपा का गढ़ बनी वाराणसी सीट
गौरतलब है कि वाराणसी लोकसभा सीट भाजपा ने गढ़ के तौर पर विकसित कर ली है. सबसे पहले 1991 के लोकसभा चुनाव में भाजपा यहां से जीती. भाजपा के शीश चंद्र दीक्षित ने माकपा के राजकिशोर को चुनाव हराया. 1996 में भाजपा के शंकर प्रसाद जायसवाल जीते. 1998 में शंकर प्रसाद फिर जीते. 1999 के लोकसभा चुनाव में शंकर प्रसाद ने जीत की हैट्रिक लगाई. 2004 में यहां से कांग्रेस के राजेश कुमार मिश्रा ने ने जीत दर्ज की. साल 2009 के लोकसभा चुनाव भाजपा के दिग्गज नेता मुरली मनोहर जोशी यहां से सांसद बने. इसके बाद 2014 में नरेंद्र मोदी आए, वे दूसरी बार यहां से सांसद हैं और तीसरी बार चुनावी मैदान में हैं.
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