मोदी विरोधी मीडिया की नई साजिश

पीएम मोदी और देश की छवि धूमिल करने की साजिश है ये दुनिया के सामने और इस साजिश में शामिल है मोदी विरोधी जमात का काम सिर्फ विरोध करने के लिये विरोध करना है -उसका प्रभाव राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश को कितना नुकसान पहुंचाने वाला है, उसकी उन्हें कोई परवाह नहीं.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Apr 13, 2020, 12:20 AM IST
    1. भारत की ग्लोबल हेल्प को बनाया निशाना
    2. मोदी विरोधियों की जमात का 'डर्टी' काम
    3. दवा उद्योग से ही पूछ लेते एक बार
    4. भारत की क्षमता बीस करोड़ पिल्स की है
मोदी विरोधी मीडिया की नई साजिश

नई दिल्ली: अंधों को आप आईना नहीं दिखा सकते. मोदी विरोध में अंधे लोगों को सच या झूठ क्या समझाया जाये. पर ज़ी मीडिया की कोशिश हमेशा रहेगी कि सच का आईना हम सबको दिखायें और इसी संकल्प को ध्यान में रख कर तथ्यों सहित ये आलेख प्रस्तुत है आपके समक्ष.

भारत की ग्लोबल हेल्प को बनाया निशाना

जैसा कि सर्वविदित है भारत अमेरिका, इज़राइल समेत कई देशों को हाइड्रोक्सी-क्लोरोक्वीन दवा भेज रहा है. 9 अप्रेल से अब तक तेरह देशों के लिये दवा की खेप भेजी है हमने. ऐसे में कुछ लोगों को मौका मिल गया है यह कहने का कि देश में अगर आगे कोरोना संक्रमण बढ़ा और हमारे पास हमारे लिये ही दवा न बचे तो क्या होगा? यह चिन्ता राष्ट्रीय समझ और संवेदना से पैदा नहीं हुई है बल्कि सोची समझी साजिश के तहत बाकायदा पैदा की गई है.

मोदी विरोधियों की जमात का काम

जैसा कि अब देश भी जान गया है कि मोदी विरोधियों में मीडिया का एक विशेष वर्ग और कांग्रेस तथा वामपंथी नेता शामिल हैं. इस मोदी विरोधी जमात ने योजनाबद्ध ढंग से एक अफवाह फैलाने की कोशिश की कि देशवासियों के लिये देश के पास दवा नहीं बची है और वहीं मोदी जी कोरोना की इस दवा को दूसरे देशों को बेचे डाल रही है. न केवल कांग्रेस के स्पोक्समेन बल्कि शशि थरूर जैसे लोग भी खुल कर सामने आ गये और इस झूठ को सच बता कर फैलाने की कोशिश करने लगे.

हैरानी की बात तो ये भी है कि बीबीसी ने भी भारत के विरोध का यह अवसर नहीं गंवाया और एक रिपोर्ट के माध्यम से ये दिखाया कि अमेरिका को दवा बेचकर भारत आत्मघात जैसा कर रहा है. लेकिन फिर हुआ ये कि अगली सुबह इंग्लैन्ड भी भारत से दवा मांगने लगा और शर्मिन्दा हो कर बीबीसी ने अपनी रिपोर्ट तुरंत डिलीट कर दी.

दवा उद्योग से ही पूछ लेते एक बार

भारतीय दवा आयोग इस आशंका को सिरे से खारिज करता है. उसका कहना है कि दवा का अच्छा बड़ा स्टॉक भारत के पास है. कोरोना संक्रमण की शुरुआत से ही देश ने दवा निर्यात प्रतिबंधित कर दिया था. इतना ही नहीं दवा निर्माता कंपनियों ने भी इसका निर्माण चालू रखा था. देश की दवा कंपनियों ने सरकार को विश्वास दिलाया है कि उनके पास हर समय कम से कम 10 करोड़ टेबलेट्स का स्टॉक सुरक्षित रहेगा.

भारत की क्षमता बीस करोड़ पिल्स की है

इंडियन ड्रग मेन्यूफेक्चर्स एसोसियेशन का कहना है कि देश की दवा कंपनियाों की क्षमता प्रति माह बीस करोड़ हाइड्रॉक्सी-क्लोरोक्विन पिल के निर्माण की है. बड़ी बात ये है कि इस दवा के निर्माण में प्रयुक्त रॉ मटीरियल भी पर्याप्त मात्रा में भारत के पास है.

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मोदी विरोधी झूठ की  मशीनरी ने होमवर्क पूरा रखा था और इस बात की भी अफवाह जोरों-शोरों से फैलाई कि इस दवा में इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल चीन से आता है.

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