चांद पर सल्फर का मिलना क्यों है खास? इसरो ने अपने मिशन की सबसे बड़ी जानकारी दी

इसरो ने अपनी पोस्ट में कहा कि चंद्रयान-3 की यह खोज वैज्ञानिकों को चांद पर सल्फर के स्रोत के लिए नए स्पष्टीकरण विकसित करने के लिए विवश करती है कि चांद पर सल्फर कैसे आया.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Aug 31, 2023, 04:09 PM IST
  • जानिए इसरो ने क्या कहा
  • लगातार चांद पर घूम रहा रोवर
चांद पर सल्फर का मिलना क्यों है खास? इसरो ने अपने मिशन की सबसे बड़ी जानकारी दी

नई दिल्लीः भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने गुरुवार को कहा कि चंद्रयान-3 मिशन के रोवर 'प्रज्ञान' पर लगे एक अन्य उपकरण ने भी एक अलग तकनीक का उपयोग करके चंद्र क्षेत्र में गंधक (सल्फर) की मौजूदगी की पुष्टि की है. राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि ‘अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोस्कोप’ (एपीएक्सएस) नामक उपकरण ने चंद्रमा पर सल्फर के साथ-साथ अन्य छोटे तत्वों का भी पता लगाया है. 

जानिए इसरो ने क्या कहा
इसरो ने अपनी पोस्ट में कहा कि चंद्रयान-3 की यह खोज वैज्ञानिकों को चांद पर सल्फर के स्रोत के लिए नए स्पष्टीकरण विकसित करने के लिए विवश करती है कि चांद पर सल्फर कैसे आया. क्या यह आंतरिक है या फिर ज्वालामुखी की वजह से या फिर उल्कापिंड की वजह से. इसरो ने सुरक्षित रास्ते की तलाश में घूमते रोवर का एक वीडियो भी जारी किया. इस घूर्णन प्रक्रिया का वीडियो लैंडर इमेजर कैमरे ने बनाया.

इसरो ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, ‘‘ऐसा महसूस होता है मानो एक बच्चा चंदामामा के आंगन में अठखेलियां कर रहा है, जबकि मां स्नेहपूर्वक देख रही है.'इसरो ने चुटकी लेते हुए पूछा, है ना?" अंतरिक्ष एजेंसी ने एक वीडियो जारी किया जिसमें 18 सेमी लंबे एपीएक्सएस को घुमाते हुए एक स्वचालित तंत्र दिखता है, जो डिटेक्टर हेड को चंद्र सतह के करीब पांच सेंटीमीटर की दूरी पर संरेखित करता है.

ये पता लगा रहा रोवर
छब्बीस किलोग्रम वजनी, छह पहियों वाला, सौर ऊर्जा से संचालित ‘प्रज्ञान’ रोवर अपने वैज्ञानिक उपकरणों का उपयोग करके यह पता लगाने का काम कर रहा है कि दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में चंद्रमा की मिट्टी और चट्टानें किस चीज से बनी हैं. इसरो ने एक बयान में कहा कि एपीएक्सएस उपकरण चंद्रमा जैसे कम वायुमंडल वाले ग्रहीय पिंडों की सतह पर मिट्टी और चट्टानों की मौलिक संरचना के वास्तविक विश्लेषण के लिए सबसे उपयुक्त हैं. 

इसमें रेडियोधर्मी स्रोत होते हैं जो सतह के नमूने पर अल्फा कण और एक्स-रे उत्सर्जित करते हैं. नमूने में मौजूद परमाणु बदले में मौजूद तत्वों के अनुरूप विशिष्ट एक्स-रे रेखाएं उत्सर्जित करते हैं. इन विशिष्ट एक्स-रे की ऊर्जा और तीव्रता को मापकर, अनुसंधानकर्ता मौजूद तत्वों और उनकी प्रचुरता का पता लगा सकते हैं. 

एपीएक्सएस के अवलोकनों ने एल्युमीनियम, सिलिकॉन, कैल्शियम और लौह जैसे प्रमुख अपेक्षित तत्वों के अलावा, गंधक समेत दिलचस्प छोटे तत्वों की मौजूदगी की खोज की है. रोवर पर लगा ‘लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप’ (एलआईबीएस) उपकरण पहले ही गंधक की मौजूदगी की पुष्टि कर चुका है. इन अवलोकनों का विस्तृत वैज्ञानिक विश्लेषण प्रगति पर है.

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