नई दिल्ली: यह बदतमीजी की हद होने से पहले राजद्रोह है. राष्ट्र के सर्वोच्च नेता को जान से मार देने की बात कहना क्या राजद्रोह नहीं है? देश के प्रधानमंत्री और देश के गृहमंत्री को मार दिया जाना चाहिए था, यह कहना क्या राजद्रोह नहीं है? अलका लाम्बा नामक एक कांग्रेस की मामूली सी नेता ने कहा है वह भी खुल्ले आम सोशल मीडिया के मन्च पर. संकेतों में लिखे साफ मतलब और साफ मकसद वाले इस ट्वीट पर क्या देश के क़ानून को इसे देख कर वास्तव में अंधा हो जाना चाहिए?
अलका लाम्बा का आपत्तिजनक ट्वीट
आइये पहले देख लेते हैं क्या है वह अत्यंत आपत्तिजनक ट्वीट इस छुटकी कांग्रेसी नेता का -
#काँग्रेस से एक बहुत बड़ी गलती हुई, जिसका खामियाज़ा आज पूरा देश भुगत रहा है..
#2002 में ही अगर दोनों को पूरी तरह नाप दिया होता तो आज यह सत्ता में कुछ यूँ फ़न फ़ैलाकर ना बैठे होते ...— Alka Lamba - अलका लाम्बा (@LambaAlka) April 18, 2020
यह कांग्रेस की संस्कृति है
पिछले सत्तर सालों में भारत साक्षी रहा है कि अपशब्द बोलना, धमकी देना और गुंडागर्दी करना कांग्रेस नामक भारत के एक खास राजनीतिक दल की खास संस्कृति है. प्रायः रोज़ ही इस तरह की कोई न कोई घटना सामने आती रहती है जो कांग्रेस की इस सोच और इस संस्कृति की मिसाल बनती है. लेकिन अब तो पानी सर से ऊपर जा रहा है जब सारा देश देख रहा है कि कांग्रेस की एक नेता खुल्ले-आम कह रही है कि 2002 में नरेंद्र मोदी और अमित शाह को साफ़ कर देना चाहिए था. संकेतों में कही गई ये बात साफ इशारा करती है कि किसके लिये कही गई है.
सोनिया की प्रिय बनने की सस्ती कोशिश
आमआदमी पार्टी से कांग्रेस में आई इस महिला नेता की ये कोशिश जाया नहीं गई होगी. पहले भी वह सोनिया गांधी की प्रिय महिला नेत्री के तौर पर पार्टी में आने दी गई थी और अभी भी इस महिला के भड़काऊ तथा अपशब्दों वाले बयानों और ट्वीट सोनिया के करीब आने की इस नेत्री की कवायद माने जा रहे हैं. हालांकि कांग्रेस में आलाकमान के प्रिय बनने के लिये चल रही यह एक अघोषित बड़ी स्पर्धा है जिसमें विजेता की घोषणा इस तरह की कोशिशों के एक लंबे सिलसिले के बाद की जाती है.
क्या कहना चाहा है अलका लाम्बा ने?
अलका लाम्बा ने जो कहना चाहा है वह कांग्रेस की सोच को दर्शाता है. कांग्रेस के गुंडा तत्वों का उत्साही समर्थन प्राप्त करने का ये एक निकृष्ट प्रयास हो सकता है जो कि दूसरी तरफ पार्टी के दूसरे बड़े नेताओं के प्रशंसा के शब्दों का आवाहन करने वाला काम भी है. एक दम से राष्ट्रीय मीडिया में सुर्खियां बटोरने की निम्न स्तरीय चाहत का बड़ा मुजाहिरा भी हो सकती है यह ट्वीट क्योंकि अलका लाम्बा को यह अच्छी तरह से पता है कि उन्होंने क्या कहा है और किसके लिए कहा है.
क्या उस समय कोई ऐसी साजिश चल रही थी?
अलका लाम्बा के शब्दों से जाहिर हो रहा है कि कांग्रेस मोदी और शाह की हत्या करने करने की हसरत रखती है और इस पार्टी की ये हसरत हसरत ही रह गई क्योंकि जो उन्होंने चाहा वो हो नहीं पाया.आगे यह महिला लिखती है - 'कांग्रेस से एक बहुत बड़ी गलती हुई' - ये शब्द बताते हैं कि कोई कोशिश थी जिसमें कोई गलती हुई और ऐसा कुछ हो नहीं सका जो चाहा गया था. क्या वास्तव में ऐसी कोई साजिश चल रही थी जिसके केन्द्र में मोदी और शाह थे?
क्या यह संकेत वाला एक सन्देश है?
यह संकेत वाला शब्द भी हो सकता है जिसमें संदेश अंतर्निहित हो सकता है. यह कांग्रेस की राजनीति की व्यावहारिक गुंडा सोच को जगाने का एक संदेश भी हो सकता है. लांबा का यह ट्वीट सांकेतिक माध्यम से एक आवाहन भी हो सकता है कि जो काम अठारह साल पहले अधूरा रह गया, अब क्यों न उसे पूरा कर लिया जाए. यद्यपि यह अतिशयोक्ति भी हो सकती है किन्तु आज अठारह साल बाद अचानक ऐसी बात कहने के और क्या मायने हो सकते हैं.
संकेत के दो खास शब्द सब कुछ कहते हैं
संकेत के दो शब्द इस ट्वीट में नज़र आ रहे हैं, एक तो 'इन दोनों' और 'दूसरा पूरा नाप दिया जाता'. पहला संकेत शब्द 'इन दोनों' साफ़ तौर पर जाहिर करता है कि एक जोड़ी के रूप में यह पिछले अठारह साल से भारत के राजनीतिक धरातल में सक्रिय मोदी-शाह द्वय के अतिरिक्त और कोई हो ही नहीं हो सकता है.
भारतीय जनता पार्टी में इन दोनों नेताओं के अतिरिक्त और कोई भी ऐसी जोड़ी नहीं है जो कि बीस साल से साथ काम कर रही हो और सफलता से काम करके आज देश की राजनीतिक आकाश के दैदीप्यमान नक्षत्र बनी हुई हो. यह महिला अपने ट्वीट में आगे लिखती है - ''तो ये आज सत्ता में यूँ फन फैलाये नहीं बैठे होते''
इसे भी पढ़ें: अब चीन 'मदद' लौटा रहा है डब्ल्यूएचओ को
'पूरा नापने' का मतलब क्या है?
आम भाषा का यह शब्द रोज़ाना की बोलचाल में इस्तेमाल नहीं होता, ये खास मौकों पर खास तरह के लोगों के बीच में इस्तेमाल में आता है. नापने का अर्थ है नाप बना देना और संकेतों में ये नाप बनाई जाती है ताबूत की. वैसे भी इसका सीधा अर्थ है निपटाना. और निपटाने का मतलब पिटाई करना, हमला करना या हाथ पैर तोड़ना नहीं होता. इसका अर्थ होता है निपटा ही देना अर्थात जान से मार देना.
इसे भी पढ़ें: सीएम योगी की पुलिस ने जमातियों के खिलाफ दिखाया रौद्र रूप
इसे भी पढ़ें: NCERT ने जारी किया कक्षा 6 से 8वीं के लिए कैलेंडर, घर पर बच्चों को ऐसे पढ़ाएं