मजहबी ज़ुल्म का खात्मा शुरू, 350 साल बाद सनातन परंपरा की वापसी

हरियाणा के हिसार जिले में आने वाले बिठमड़ा गांव के रहने वाले लोगों ने जुल्म की बेड़ियों को तोड़ते हुए सनातन परंपरा में वापसी की है. परिजनों ने अंतिम संस्कार दफनाने के बजाय, मुखाग्नि देकर किया. ये मजहबी जुल्म के लिए बहुत बड़ी चोट है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 10, 2020, 09:39 AM IST
    • करीब 350 साल बाद हुई 'वापसी'
    • सनातन परंपरा के अनुसार अंतिम संस्कार
    • 30 परिवारों ने जुल्म की बेड़ियों को तोड़ा
  • मजहबी ज़ुल्म का खात्मा शुरू हो गया
मजहबी ज़ुल्म का खात्मा शुरू, 350 साल बाद सनातन परंपरा की वापसी

नई दिल्ली: मजहब के आड़ में मजबूरों को प्रताड़ित करने का सिलसिला सालों से चली आ रही है. लेकिन अब एक ऐसी मिसाल सामने आई है, जिसके बारे में जानकर ये कहा जा सकता है कि मजहबी जुल्म का खात्मा शुरू हो गया है.

करीब 350 साल बाद हुई 'वापसी'

औरंगजेब काल में शवों को दफनाया गया था, लेकिन जुल्म के जरिए मजहबी तानाशाही का अब जनाजा निकलना शुरू हो गया है. अब करीब 350 साल बाद फिर अंतिम संस्कार की रस्म निभाई जानी शुरू हो गई है.

हरियाणा में हिसार के बिठमड़ा गांव के करीब 30 परिवार ने सनातन परंपरा में वापसी करने का फैसला कर लिया है. एक विशेष जाति के 30 परिवार अब अपने परिवारवालों को मौत के बाद दफानाएंगे नहीं, बल्कि सनातन परंपरा के अनुसार अग्नि देकर अंतिम संस्कार करेंगे.

सनातन परंपरा के अनुसार अंतिम संस्कार

जी हां, ये बिल्कुल सच है. बिठमड़ा गांव में रहने वाले परिवार के लोगों ने एक बुजुर्ग महिला फुल्ली देवी का हिंदू रीति रिवाज के साथ अंतिम संस्कार किया. दरअसल, इस गांव के एक विशेष जाति के लोगों पर दबाव था कि वो अपने परिवार का दाह संस्कार न करें, बल्कि उन्हें ज़मीन में दफनाए और ये परंपरा सालों से चली आ रही थी.

लेकिन जब फुल्ली देवी का देहांत हुआ, तो उनके बेटे ने फैसला किया वो अपनी मां का अंतिम संस्कार सनातन परंपरा और रीति रिवाज़ों से करेगा. परिवारों महिला के बेटे का कहना है कि औरंगजेब काल में उनके पुर्वजों पर दबाव बनाया गया था जिस वजह से अब तक दफनाने की पंरपरा पर चल रही थी.

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सतबीर के इस फैसले का गांव के 30 परिवारों ने समर्थन किया. इन 30 परिवारों ने भी फैसला किया कि वो भी अपने परिवारवालों के देहांत के बाद दाह संस्कार ही करेंगे. इन 30 परिवारों के फैसले का हिंदू समाज के लोगों ने स्वागत किया है तो करीब 350 साल घर वापसी करने वाले परिवार भी खुश हैं.

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