नई दिल्ली: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल के पास देश को बाहरी और आंतरिक खतरे से बचाने की जिम्मेदारी है लेकिन जिस समय देश में कोई पेंचीदा मसला आकर खड़ा हो जाता है तो उसे हल करने के लिए अजित डोवल ट्रबल शूटर की भूमिका अपना लेते हैं. दिल्ली में हुए 'जमाती कांड' को लेकर भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला.
जमात का होश ठिकाने लाने के लिए 'डोवल ट्रिक'
दिल्ली के निज़ामुद्दीन में स्थित एक इमारत में सैकड़ों कोरोना संदिग्धों के होने की खबर ने पूरे देश में हड़कंप मचा दिया. निजामुद्दीन मरकज के मौलाना मोहम्मद साद के अड़ियल रवैये को देखते हुए इमारत को खाली करने के लिए NSA अजित डोवल को मोर्चा संभालना पड़ा.
जमात को डोवल ने 'ठीक' से 'समझा' दिया
कोरोना वायरस संकट से जूझ रहे देश के सामने दिल्ली के निज़ामुद्दीन स्थित बंगलेवाली मस्जिद ने एक बड़ी परेशानी खड़ी कर दी. हालात बेकाबू होता देख राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल को ही 'ट्रबल शूटर' की जिम्मेदारी संभालनी पड़ी.
यहां मरकज में सैकड़ों कोरोना वायरस संदिग्धों के होने की जानकारी मिल चुकी थी. ये सभी लोग तबलीगी जमात से जुड़े थे. मस्जिद के मौलाना साद दिल्ली पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की बात सुनने को तैयार नहीं हुए तो ऐसे में गृह मंत्री अमित शाह के कहने पर मस्ज़िद को खाली कराने की ज़िम्मेदारी अजित डोवल ने संभाली.
डोवल के एक इशारे पर खाली हो गया मरकज
दरअसल, बीते 18 मार्च को सुरक्षा एजेंसियों ने तेलंगाना के करीमनगर में कुल 9 कोरोना पॉजिटिव इंडोनेशियाई लोगों को मरकज से आने के बाद ट्रैक किया था. ऐसे में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल को इस बात का अंदाजा हो चुका था कि हालात कितने गंभीर हो चुके हैं. जिसे देखते हुए आखिरकार डोवल ने मोर्चा संभाला और 28-29 मार्च की रात को मौलाना साद से संपर्क साधा. उस वक्त NSA डोवल ने अपनी बात को अच्छी तरह से समझा दिया.
NSA डोवल ने तोड़ी मौलाना की 'ज़िद'
अजित डोवल के बात करते ही मौलाना साद के होश ठिकाने आ गए. ऑपरेशन चलाकर पूरी बिल्डिंग को ख़ाली करा लिया गया है. इमारत से कुल 2361 लोगों को निकला गया. इसमें से 617 को अस्पताल में और बाक़ी को quarantine में भेज दिया गया.
वैसे कोरोना से जंग की भारत ने बड़ी वैश्विक तैयारी भी की है. प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में कोरोना के खिलाफ इस वैश्विक लड़ाई का ब्लूप्रिंट तैयार किया है तो वहीं दूसरी तरफ देश में कोरोना फैलाने वाले जमाती विलेन को सबक सिखाने के लिए खुद अजित डोवल ने मोर्चा संभाल लिया है.
कोरोना से जंग भारत की 'वैश्विक तैयारी'
COVID-19 डाटा सेंटर की स्थापना की गई, दुनियाभर से जानकारी इकट्ठा की जा रही है. ये ज़िम्मेदारी विदेश मंत्रालय को सौंपी गई है और पीएम केयर फंड में विदेशों से सहयोग लिया जाएगा. ज़रूरी मेडिकल उपकरण भारत लाने की तैयारी है, युद्धस्तर पर वेंटिलेटर जुटाने का काम भी हो रहा है.
आपको बता दें, तबलीगी जमात मामले में भी MEA सक्रिय है. विदेशों से जमात के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है. G-20 के अलावा मोदी ने 10 वैश्विक नेताओं से बात की है. आपसी सहयोग बढ़ाने पर हर देश से चर्चा हुई है. अमेरिका में फंसे भारतीयों को लेकर भी बातचीत हुई. भारत सरकार ने अमेरिका में भारतीयों की मदद की अपील की और विदेशों में फंसे दूसरे भारतीय को भी वापस लाने की तैयारी है. सार्क देशों ने कोरोना फंड बनाया जिसका अब इस्तेमाल होगा.
जब NSA अजित डोवल बने 'ट्रबल शूटर'
ऐसा नहीं है कि किसी मामले को निपटाने के लिए डोवल पर पहली बार भरोसा जताया गया हो. पहले भी हम अजित डोवल को देश के लिए ट्रबल शूटर की भूमिका निभाते देख चुके हैं. चाहे वो दिल्ली दंगों के बाद जनता में भरोसा कायम करने की कोशिश रही हो या फिर कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद ग्राउंड ज़ीरो पर उतरकर कश्मीरियों का दिल जीतने की पहल रही हो. हर बार अजित डोवल अपने मिशन में कामयाब रहे.
दिल्ली दंगों के बाद भी 26 फरवरी 2020 को खुद अजित डोवल ने कमान संभाली थी साथ ही मिशन कश्मीर के तहत अनुच्छेद 370 के खात्मे के बाद 10 अगस्त 2019 को भी उन्होंने मोर्चा संभाला था.
फिलहाल निज़ामुद्दीन में मौजूद कोरोना वायरस संदिग्ध लोगों को अस्पताल भेजा जा चुका है लेकिन असली चुनौती मरकज में शामिल रहे हर एक संदिग्ध का पता लगाकर उसे समय रहते क्वारंटीन में भेजने की है.
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अजित डोवल की कार्यशैली का इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलहकार होने के नाते वो देश को कोरोना जैसी महामारी से भी सुरक्षित रखने के लिए हर संभव कदम उठा रहे हैं. पूरी दुनिया में डोवल की नीति का बोलबाला है. माना जाता है कि उनकी नजर से कोई नहीं बच सकता है, ऐसे में तबलीगी जमात का मौलाना मोहम्मद साद फरार है. वो कहावत है न बरके की मां कबतक खैर मनाएगी? वो ज्यादा दिन तक डोवल की नजरों से नहीं बच सकता है.
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