रेप पीड़िता पर जहालत का जुल्म: टू फिंगर टेस्ट

पाकिस्तान ही नहीं दुनिया के उस हर देश की महिलायें जुल्मो-सितम का शिकार हैं जहां ज़िन्दगी और जहालत एक ही बात है. जहालत जिहादी भी बनाती है और जालिम भी. पाकिस्तान की औरतें रेप पीड़ित होने के बाद समाज का दूसरा जुल्म भी झेलने को मजबूर होती हैं जिसे कहते हैं -टू फिंगर टेस्ट जो पीड़िता के लिये रेप से ज्यादा दर्दीला होता है..

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Apr 12, 2020, 04:01 AM IST
    1. पाकिस्तान में कानून में भी जहालत है
    2. यातना की दूसरी कहानी है ये टेस्ट
    3. जानिए, जारा के दुहरे-दर्द की कहानी
रेप पीड़िता पर जहालत का जुल्म: टू फिंगर टेस्ट

नई दिल्ली: इस अमानवीय स्थिति को सीधे-सीधे ऐसे कह सकते हैं कि पाकिस्तान की महिलायें रेप के बाद एक और 'रेप' से गुजरती हैं और यह रेप सीधे रेप नहीं होता तो सांकेतिक भी नहीं होता और इसको पाकिस्तान में जाना जाता है-  टू-फिंगर टेस्ट के नाम से.

कानून में भी जहालत है पाकिस्तान में

पाकिस्तान की जहालत वहां के लोगों के सिर चढ़ कर बोलती है. एक आम आदमी की बात छोड़ दीजिये तथाकथित पढ़े-लिखे लोगों में भी जहालत का वही स्तर है और ये जहालत चाहे पाकिस्तान की नौकरशाही हो या सरकार -हर तरफ एक जैसी ही घटिया स्तर पर नज़र आती है. जैसे कानून बनाने वाले जाहिल हैं पाकिस्तान में वैसा ही वहां का कानून भी जिसमें अकल की दखल मना है. इस देश में रेप पीड़िताओं की जांच के लिए किया जाता है एक टू-फिंगर टेस्ट.

यातना की दूसरी कहानी है ये टेस्ट

इस टेस्ट के बारे में चाहे बलात्कारी को पता हो या न हो, हर बलात्कार की शिकार महिला को अच्छी तरह पता है कि ये टू फिंगर टेस्ट क्या होता है. यह टेस्ट अपने आप में एक यातना होता है और हर बलात्कार की शिकार लड़की को पाकिस्तान में इस अनिवार्य परीक्षण से हो कर गुजरना पड़ता है और इस दौरान वह अपने साथ हुई दरिंदगी को दोबारा जीने को मजबूर हो जाती है.

क्या है ये टू-फिंगर टेस्ट

इस टू-फिंगर टेस्ट को बस एक वाक्य में ऐसे जाना जा सकता है कि यह रेप पीड़िता को रेप के दर्द से फिर एक बार गुजारने की कानूनी प्रक्रिया का नाम है जिसके बाद रेप पीड़िता हमेशा ये सोचने को मजबूर हो जाती होगी कि काश उसने अपने साथ हुए रेप की रिपोर्ट न की होती.

जारा के दुहरे-दर्द की कहानी

जारा की आयु थी 16 वर्ष की जब 2007 में उसके साथ बलात्कार हुआ था. उसके पड़ोसी ने उसे पहले किडनैप किया फिर उसके साथ बलात्कार किया. जारा को तीन दिन बाद इसी पड़ोसी के घर में पाया गया और हैरानी की बात है कि ये पाकिस्तानी जानवर इस घर में अपनी पत्नी और तीन बच्चों के साथ रहता था. 

जारा का परिवार भागता हुआ उसे लेकर पास के पुलिस स्टेशन पहुंचा. यहां इससे पहले कि बलात्कार का मामला दर्ज हो, रेप हुआ है- ये साबित करना पड़ता है. इस काम के लिए अगले दिन जारा के घर एक महिला डॉक्टर जारा का टेस्ट करने आई जिसने जारा के प्राइवेट पार्ट में अपनी दोनों उंगलियां डालीं और फिर बयान दिया कि जारा कुंआरी नहीं है.

मानसिक यातना का लंबा दौर

जारा पहले ही बलात्कार की पीड़ा से टूटी हुई थी अब उसे अपने परिवार-जनों के द्वारा भी यातना झेलने के लिये मजबूर होना पड़ा जब सारे घर ने उसे चरित्रहीन कह कर दोष देना शुरू कर दिया. ये कहानी तो जारा की है किन्तु ये पीड़ा हर उस महिला की है जो पाकिस्तान मे जीने को अभिशप्त है और रेप के बाद इस टू-फिंगर टेस्ट से हो कर गुजरी है. 

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