भारत में कोरोना का सबसे बड़ा दुश्मन कौन है

ये भी बहुत अच्छी खबर है कोरोना के विरुद्ध युद्ध में जो आपके विश्वास को बढ़ायेगी और देश को जीत की तरफ ले जायेगी और तब आपको कहना ही होगा - मुस्कुराइये कि आप भारत में हैं!

Written by - Parijat Tripathi | Last Updated : Apr 12, 2020, 04:02 AM IST
    1. कोरोना के जाने का समय आ गया है
    2. कोरोना के लक्षण हैं सर्दियों वाले
    3. सर्दियों में ही शुरू हुआ संक्रमण
    4. कोरोना कहर की शुरुआत का तापमान
भारत में कोरोना का सबसे बड़ा दुश्मन कौन है

नई दिल्ली: ऐसा क्यों है कि देश में जब भी कोरोना की बात होती है तो हर बात होती है लेकिन एक बात नहीं होती? यही बात तो सबसे अहम है और यही खबर भारत के लिये खुशखबरी है. भारत की गर्मी है ये खबर जो इस कोरोना-काल में कोरोना के लिये काल से कम नहीं. भारत की गर्मी भारतवासी तो बर्दाश्त कर सकते हैं, भारत का दुश्मन कोरोना नहीं. गर्मियों ने दस्तक दे दी है, और हमारा ध्यान उधर जा ही नहीं रहा. भारत का मौसम बनेगा भारत का रक्षक जो कोरोना के लिये सिद्ध होगा बड़ा भक्षक.

कोरोना के जाने का समय आ गया है

जहां एक तरफ गर्मियों के आने का समय आ रहा है, कोरोना के जाने का समय भी आ रहा है. कोरोना का सबसे बड़ा शत्रु गर्मियां हैं जैसे कि कोरोना को सबसे बड़ा मित्र सर्दियां हैं. भारत के लिये और किसी भी उस देश के लिये जो प्राकृतिक रूप से गर्म देश हैं, कोरोना को फुटबॉल की तरह किक मारने को तैयार हो रहे हैं क्योंकि आधा अप्रेल तकरीबन आधा बीत गया है और यह समय अब शुद्ध गर्मियों के प्रारंभ का है.

कोरोना के लक्षण हैं सर्दियों वाले

कोरोना कोहराम से चिन्तित हम भारतवासियों का ध्यान हमारी सबसे बड़ी प्राकृतिक ताकत की तरफ जा ही नहीं रहा और हमारा मौसम चक्र हमारी प्राकृतिक शक्ति है. कोरोना के लक्षणों पर भारत की गर्मी भारी पड़ती है. इसको ऐसे समझ सकते हैं -  कोरोना के तीन प्रमुख लक्षण हैं - गले में बलगम होना, खांसी होना, निमोनिया होना और सांस में तकलीफ.

ये सभी लक्षण सर्दियों की बीमारियों के हैं. फ्लू, निमोनिया, सर्दी-खांसी, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, आदि ये सभी मूल रूप से सर्दियों की बीमारियां हैं. और कोविड-19 फ्लू फैमिली का ही वायरस है जो सर्दियों के मौसम में फलता-फूलता है.

ब्रिटेन में हुई थी यही स्टडी

2010 में ब्रिटेन में वायरल फीवर फैलाने वाले विभिन्न वायरसों पर एक स्टडी की गई थी. इस स्टडी में मूल रूप से तीन तरह के कोरोना-जैसे एक वायरस के सैम्पल लिये गये और उनका अध्ययन किया गया था. ये सैम्पल कोरोना-संक्रमण से मिलते जुलते लक्षण वाले मरीजों से लिए गए थे जिनकों सांस के माध्यम से संक्रमण हुआ था.

इनमें से एक सैम्पल ऐसे रोगी से लिया गया था जो ऑपरेशने के समय संक्रमण-ग्रस्त हुआ था. इन सभी रोगियों में वायरस का मौसमी चक्र दिखाई दिया और उससे यह संकेत मिला कि तीन तरह के कोरोना वायरसों के सक्रिय होने का समय दिसंबर से अप्रैल महीने के बीच का है.

सर्दियों में ही शुरू हुआ संक्रमण

यह चीनी वायरस कोविड-19 सबसे पहले दिसंबर महीने में चीन के वूहान शहर से फैलना शुरू हुआ था और फिर यह लगातार फैलता ही चला गया और अभी तक लगातार फैल रहा है. पाश्चात्य जगत ठंडे मौसमों वाले देशों का धरातल है इसलिये अमरीका और यूरोप के देशों में कोरोना वायरस ने जमकर क़हर बरपाया है. कोरोना के वैश्विक आंकड़ों को देखने से पता चलता है कि यह संक्रमण ठंडे इलाक़ों में ये काफ़ी तेज़ी से फैल रहा है.

कोरोना कहर की शुरुआत का तापमान

जब इटली में कोरोना का संक्रमण फैला तब वहां 6 डिग्री तापमान था. संक्रमण के समय स्पेन में भी 6 डिग्री था, अमेरिका में 9 डिग्री था और ईरान में 14 डिग्री था. भारत में भी तीस जनवरी को जब कोरोना संक्रमण का पहला मामला सामने आया था तब भारत में खासी सर्दी थी और तापमान 8 से 14 डिग्री के बीच था. किन्तु ठंडे देशों में कोरोना ने तूफानी रफ्तार पकड़ी और भारत में लंगड़ा कर चलता रहा.

प्रकृति पुत्र हैं भारतीय

भारत वह देश है जहां के लोगों को 40 से 50 डिग्री के झुलसाने वाले तापमान में जीने की आदत है इसलिये इसने यहां के लोगों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता अर्थात इम्यूनिटी को खासा बढ़ा रखा है. मिट्टी में खेल कर बड़े होने वाले बचपन के साथ ही हर तरह का पानी पीकर जीने वाले हिन्दुस्तानी सर्दी गर्मी बरसात को झेलते हुए जीते हैं इसलिये प्रकृति के करीब रहने का सुफल भी प्रकृति अपने पुत्रों को प्रदान करती है और यही चीज़ उन्हें दुनिया के अमीर देशों से अलग करती है. प्रकृति पुत्रों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता उनसे कहीं बहुत ज्यादा होती है. 

गर्म देशों में संक्रमण की रफ्तार सुस्त

एक तरफ तो ठंडे देशों में कोरोना संक्रमण की रफ्तार तूफानी है वही गर्म इलाकों में या उन इलाक़ों में जहां अभी थोड़ा सर्द और थोड़ा गर्म मौसम है वहां इस वायरस की रफ़्तार सुस्त है. इसलिये इस बात से इनकार नहीं किया जा रहा है कि गर्मी का मौसम शुरू होने के साथ ही इस वायरस के संक्रमण की रफ्तार में प्रकृति लगाम लगा देगी और फिर धीरे-धीरे ये वायरस ख़त्म हो जाएगा.

क्रोमोपैथी अर्थात सूर्य चिकित्सा है फायदेमन्द

सूर्य चिकित्सा के अनुसार सूर्य स्वास्थ्य और जीवन शक्ति का भण्डार माना जाता है. कहा गया है कि सूर्य की किरणें कीटाणुनाशक है. इस चिकित्सा में माना गया है कि मनुष्य सूर्य के जितने अधिक सम्पर्क में रहेगा उतना ही अधिक स्वस्थ रहेगा.

इसे भी पढ़ें: लॉकडाउन पर पीएम मोदी के ऐलान से पहले ही इतनी जल्दी में क्यों हैं कुछ राज्य

जो लोग अपने घर को चारों तरफ से खिड़कियों से बन्द करके रखते हैं और सूर्य के प्रकाश को घर में घुसने नहीं देते वे लोग सदा रोगी बने रहते हैं. जहां सूर्य की किरणें पहुंचती हैं, वहां रोग के कीटाणु स्वत: मर जाते हैं और रोगों का जन्म ही नहीं हो पाता. ठंडे देशों में कोरोना के घातक संक्रमण का यही कारण है.

इसे भी पढ़ें: लॉकडाउन अभी बढ़ा नहीं लेकिन सीएम केजरीवाल ने पहले ही पीएम मोदी का जता दिया आभार

इसे भी पढ़ें: कोरोना ने बदल दिया दुनिया का इतिहास! 10 खौफनाक मंजर

ट्रेंडिंग न्यूज़