Bilkis Bano case: SC के फैसले पर BJP एक्सपोज़; ओवैसी ने PM मोदी की नीयत पर कसा तंज़
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Bilkis Bano case: SC के फैसले पर BJP एक्सपोज़; ओवैसी ने PM मोदी की नीयत पर कसा तंज़

Owaisi on Bilkis Bano case SC Verdict: साल 2002 में गुजरात में गोधरा स्टेशन पर साबरमति एक्सप्रेस के एक कोच जला दिया था. इसके बाद पूरे गुजरात में दंगे फैल गए थे. इन दंगें में हजारों लोगों की मौत हो गई थी.

Bilkis Bano case: SC के फैसले पर BJP एक्सपोज़; ओवैसी ने PM मोदी की नीयत पर कसा तंज़

Owaisi on Bilkis Bano case SC Verdict: सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो के 11 दोषियों की रिहाई का फैसला रद्द कर दिया है. इस बीच AIMIM चीफ और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि मैं शुरू से ही कह रहा था कि जब बिलकिस बानो के रेप हुआ था, तब उस वक्त की बीजेपी की सरकार ने रेपिस्ट का साथ दिया था.

ओवैसी ने क्या कहा? 
ओवैसी ने कहा कि बिलकिस बानो का रेप हुआ, उनकी मासूम बच्ची का कत्ल हुआ. इंसाफ के लिए बिलकिस बानो ने ये लड़ाई खुद से लड़ी. उस वक्त गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी थे, उस समय गुजरात में बड़ा ही खराब माहौल था. इसलिए इस ट्रायल को महाराष्ट्र में शिफ्ट किया गया था. 

उन्होंने आगे कहा कि आप सभी को याद रखना चाहिए की इन रेपिस्टों को बीजेपी ने ही छुड़ाया था. भाजपा के लोगों ने ही उनके (मुजरिमों)  गले में हार डाला. जो बीजेपी महिलाओं की बात करती है, वो इन बातों से एक्पोज हो गई है. 

पीएम मोदी पर कसा तंज
लोकसभा सांसद ओवैसी ने पीएम मोदी पर तंज कसते हुए कहा कि होम मिनिस्टर अमित शाह हैं, उन्होंने दोषियों को रिहाई का अप्रूवल दिया था. इससे जाहिर होता है कि पीएम नरेंद्र मोदी, जो नारी शक्ति की बात करते हैं. वो एक जुमलेबाजी है. 

क्या है पूरा मामला
दरअसल, साल 2002 में गुजरात में गोधरा स्टेशन पर साबरमति एक्सप्रेस के एक कोच जला दिया था. इसके बाद पूरे गुजरात में दंगे फैल गए थे. इन दंगें में हजारों लोगों की मौत हो गई थी. इस दंगे की आग बिलकिस बानो के परिवार तक पहुंच गई थी. एक समूह ने बिलकिस बानो के साथ रेप किया था. तब उस वक्त बिलकिस बानो 5 महीने की प्रेग्नेंट थी. इतना ही नहीं भीड़ ने बिलकिस के परिवार के 7 सदस्यों की हत्या कर दी था.

इसके बाद कई सालों तक CBI कोर्ट में सुनवाई होती रही. इसके बाद कोर्ट ने सभी 11 मुजरिमों को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी. इसमें से एक मुजरिम ने गुजरात हाईकोर्ट में अपील दायर कर रिमिशन पॉलिसी के तहत उसे रिहा करने की मांग थी. हालांकि हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था. इसके बाद मुजरिमों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. मई 2022 में SC ने इस मामले में गुजरात सरकार से फैसले लेने के लिए कहा था. इसके बाद गुजरात सरकार ने दोषियों की रिहाई पर फैसला करने के लिए कमेटी का गठन किया था. गठित कमेटी की सिफारिश पर गुजरात सरकार ने सभी 11 मुजरिमों को रिहा कर दिया था. 

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