गरीबों के हक पर क्या कहता है इस्लाम, ख्याल न रखने पर होगा ये अंजाम
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गरीबों के हक पर क्या कहता है इस्लाम, ख्याल न रखने पर होगा ये अंजाम

Islami Knowledge: इस्लाम में गरीब इंसान के हक के बारे में बात की गई है. इस्लाम में कहा गया है कि अगर कोई गरीब इंसान को खाना खिलाता है तो मानों उसने अल्लाह को खाना खिलाया.

गरीबों के हक पर क्या कहता है इस्लाम, ख्याल न रखने पर होगा ये अंजाम

Islami Knowledge: इस्लाम हमेशा हक की बात करता है. इस्लाम में हर सख्स की अपनी जिम्मेदारी है. हर इंसान के अपने फर्ज हैं. इसी तरह से इस्लाम में गरीबों और मिस्कीनों के हक हैं. इस्लाम में नेक बंदों से यह मांग की जाती है कि गरीबों और मिस्कीनों के हक अदा करें. कुरान में गरीबों और फकीरों के बारे में बात की गई है. उनके बारे में कहा गया है कि उन्हें झिड़के नहीं. 

गरीब पड़ोसियों का हक
इस्लाम में इस हद तक गरीबों और मिस्कीनों के बारे में जिक्र है कि अगर आपका पड़ोगी गरीब है और आप अच्छा खा रहे हैं तो अपने पड़ोसी को भी दें. अगर नहीं दे सकते तो उन्हें दिखा कर न खाएं. इसे उन्हें तकलीफ होगी. अगर आप फल खा रहे हैं और आपका पड़ोसी फल नहीं खा पा रहा है, तो फलों के छिलकों को जमीन में दफ्न कर दें. ताकि गरीब पड़ोसी के बच्चे आपको खाता देखकर या उनके छिलके देखकर अपने मां-बाप को परेशान न करें. 

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गरीबों का हक
इस्लाम में जिक्र है कि आपके आस-पास कोई गरीब आदमी भूखा है तो उसे खाना खिला दें. अगर किसी प्यासे को देखें तो उसे पानी पिला दें. इस्लाम में पानी पिलाने का बहुत सवाब है. ऐसे ही गरीबों को सर्दी में गर्म कपड़े दिलाना और उन्हें जूते दिलाना बहुत सवाब का काम है. अगर आप किसी गरीब के साथ हमदर्दी में कोई भी अच्छा सुलूक करते हैं, तो आल्लाह ताला उसका बदला आखिरत में देगा.

कुरान और गरीब
गरीबों और मिस्कीनों के बारे में कुरान में जिक्र है. सूरह बकर में अल्लाह ताला अपने बंदों से कहता है कि मुसलमानों को जहां अपना माल व दौलत अपने माता-पिता पर खर्च करना पड़ता है, वहीं उन्हें अनाथों, गरीबों और जरूरतमंद यात्रियों को नहीं भूलना चाहिए, बल्कि उन्हें अपने धन का एक हिस्सा उन पर भी खर्च करना चाहिए. कुरान में एक दूसरी जगह अल्लाह ताला कहता है कि किसी गरीब से ये न कहो कि हम इसे ख्यों खिलाएं. अल्लाह चाहता तो इसे खिला देता.

मुफलिसों पर हदीस
एक हदीस से जाहिर होता है कि इस्लाम में गरीबों और मुफ्लिसों की मदद करना बड़ी फजीलत का काम है. हदीस में है कि "हजरत अबु हुरैरा (रजि0.) कहते हैं कि प्रोफेट मोहम्मद (स0.) ने फरमाया: कयामत के दिन अल्लाह कहेगा: ऐ आदम के बेटे! मैंने तुझसे खाना मांगा था, लेकिन तूने मुझे खाना नहीं दिया? वह कहेगा: ऐ मेरे रब! मैं तुछको खाना किस तरह खिलाता जबकि तू खुद सारे संसार का पालनहार है? अल्लाह कहेगा: क्या तुझे पता नहीं था कि मेरा फला बंदा भूखा था, उसने तुझसे खाना मांगा था, लेकिन तूने नहीं दिया. क्या तुझे ये पता न था कि यदि तू उसके पेट की आग बुझा देता, तो उसका बदला मेरे पास से पाता. फिर अल्ला उससे कहेगा: ऐ आदम के बेटे! मैंने चुझसे पानी मांगा था, मगर तूने मेरी प्यास नहीं बुझाई! वह कहेगा: ऐ मेरे रब! मैं तुझको कैसे पिलाता जबकि तू खुद सारे संसार का पालनहार है. व कहेगा: क्या तुझे पता है कि मेरे फलां प्यासे बंदे ने तुझसे पानी मांगा था, मगर तूने उसकी प्यास नहीं बुझाई. क्या तुझे पता नहीं कि अगर तू उसकी प्यास बुझा देता तो उसका इनाम तुझे मेरे पास से मिलता!" (हदीस: मुस्लिम)

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