Farmer Success Story: अब वो जमाना गया जब क‍िसी खास इलाके के क‍िसान क‍िसी एक या दो ही फसल के भरोसे होते थे. ब‍िहार के क‍िसान श‍िमला म‍िर्च की तो राजस्‍थान के क‍िसान गेहूं-सरसों के अलावा दूसरी चीजों की खेती कर रहे हैं. हर जगह के क‍िसान आधुन‍िक तरीके से खेती करके अच्‍छी खासी कमाई कर रहे हैं. खेती का तरीका और फसलों के चयन में बदलाव से क‍िसानों की आमदनी भी बढ़ी है. राजस्‍थान के क‍िसान आधुनिक विधि से बागवानी फसल उगाकर अच्‍छी खासी कमाई कर रहे हैं.


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दोस्‍तों की सलाह ने बदली क‍िस्‍मत


राजस्‍थान के रहने वाले एक क‍िसान की हल्दी की खेती से किस्मत बदल गई. भगवान रोत नाम का यह क‍िसान हल्‍दी की खेती शुरू करने से पहले गुजरात में मजदूरी करके अपने पर‍िवार का भरण-पोषण करता था. मजदूरी से म‍िलने वाले पैसे से उनका पर‍िवार का खर्च चलने में मुश्‍क‍िल आती थी. इसके बाद उनके दोस्‍तों ने उन्हें हल्दी की खेती करने की सलाह दी. इसके बाद उन्‍होंने मजदूरी छोड़कर गांव में आकर हल्‍दी की खेती करनी शुरू कर दी. हल्‍दी की खेती के साथ ही उन्‍होंने खेत पर ही मुर्गी पालन भी शुरू कर द‍िया.


मुर्गा खरीदने दूर-दूर से आते हैं लोग
न्यूज18 हिन्दी में प्रकाश‍ित खबर के अनुसार भगवान रोत डूंगरपुर जिले के सबला ब्लॉक के सागोट गांव के मूल रूप से रहने वाले हैं. उन्‍होंने बताया क‍ि पहले वह गुजरात में घर से दूर मजदूरी करते थे. इस पैसे उनके पर‍िवार की जरूरते पूरी नहीं हो पाती थीं. लेकिन, अब वह गांव लौटकर हल्दी की खेती के अलावा मुर्गी पालन का भी काम कर रहे हैं. इन दोनों कामों से उन्‍हें हर महीने 40 से 50 हजार रुपये तक की कमाई हो रही है. उनके फॉर्म पर लोग देसी मुर्गा खरीदने के ल‍िए दूर-दूर से आते हैं. वह मुर्गे की बि‍क्री के साथ देसी अंछा भी बेचते हैं.


भगवान रोत ने बताया क‍ि वह हल्‍दी की खेती जैविक विधि से करते हैं. इसके ल‍िए खाद हमेशा गोबर की ही इस्तेमाल में लाते हैं. वह हल्दी के अलावा मक्का और गेहूं भी पैदा करते हैं. लेकिन उनके खेत में सबसे ज्‍यादा फसल हल्‍दी की है. वह अपने खेत में उगाई गई हल्‍दी को सीधे बाजार में जाकर बेच देते हैं. इसकी ब‍िक्री वह कच्‍ची हल्‍दी के साथ ही हल्‍दी पाउडर के रूप में भी करते हैं. हल्‍दी पाउडर को वह क‍िराना की दुकान पर भी सप्लाई करते हैं. उनकी तरफ से तैयार की जाने वाली जैव‍िक हल्‍दी 400 रुपये किलो की दर पर आसानी से बाजार में बिक जाती है.


इसके अलावा वह हर द‍िन 30 से 40 अंडों की भी ब‍िक्री करते हैं. एक देसी अंडा 15 रुपये में ब‍िकता है. 40 अंडों से उन्‍हें हर द‍िन औसतन 600 रुपये म‍िल जाते हैं. वह रह महीने 5 से 10 मुर्गियों को भी बेच देते हैं. इससे भी उन्‍हें अच्‍छी कमाई हो जाती है. इस तरह अंडे, मुर्गी, मुर्गे और हल्‍दी बेचकर उन्‍हें हर महीने 40 से 50 हजार रुपये तक की आमदनी हो जाती है. इस तरह आदमनी बढ़ने पर उनकी ज‍िंदगी पहले से काफी आसान हो गई है.