नेपाल के खेतों में उग रही जापान की 'करंसी', लाखों की कमाई कर क‍िसान भी हो रहे मालामाल
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नेपाल के खेतों में उग रही जापान की 'करंसी', लाखों की कमाई कर क‍िसान भी हो रहे मालामाल

Nepal Argeli Grass: जापान में नई करंसी को जुलाई के महीने से लागू क‍िया जाएगा. यह साल जापान की करंसी येन के ल‍िए काफी अहम साब‍ित होने वाला है. हर 20 साल में जापानी करंसी येन को रिडिजाइन करके नया स्वरूप दिया जाता है.

नेपाल के खेतों में उग रही जापान की 'करंसी', लाखों की कमाई कर क‍िसान भी हो रहे मालामाल

Japani Currency Grass Export: साल 2016 में भारत में नोटबंदी के बाद र‍िजर्व बैंक 1000 रुपये का नोट को बंद करके 2000 रुपये के नोट को चलन में लाया. इसी तरह कुछ देशों की तरफ से समय-समय अपनी करंसी के ड‍िजाइन, कलर आद‍ि में बदलाव क‍िया जाता रहता है. कई बार इसके बनाने में यूज होने वाले मैटेर‍ियल में भी बदलाव क‍िया जाता है. अब इसी तरह की पहल दुन‍िया की सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍थाओं में से एक जापान में होने जा रहा है. जापान ने अपनी करंसी को बनाने से जुड़े बड़े बदलाव की प्‍लान‍िंग की है.

जुलाई से जापान में नई करंसी को लागू क‍िया जाएगा

इस बदलाव के बाद जापान की करंसी खास तरह के पेपर पर प्रिंट की जाएगी. इस पेपर का न‍िर्माण जापान में नहीं होगा, बल्‍क‍ि इसे दूसरके देश से आयात क‍िया जा रहा है. इस बार जापान में नई करंसी को जुलाई के महीने से लागू क‍िया जाएगा. यह साल जापान की करंसी येन के ल‍िए काफी अहम साब‍ित होने वाला है. हर 20 साल में जापानी करंसी येन को रिडिजाइन करके नया स्वरूप दिया जाता है. इससे पहले जापानी करंसी में 2004 में बदलाव क‍िया गया था.

मित्सुमाता की सप्लाई प‍िछले कुछ समय से घट गई
अब जुलाई 2024 से नए नोट चलन में आएंगे. इसके भी ज्‍यादा जरूरी बात यह है क‍ि जापान में बैंक नोट छापने के लिए यूज होने वाला पारंपरिक कागज मित्सुमाता की सप्लाई प‍िछले कुछ समय से घट गई है. दरअसल, अभी जापान की करंसी को बनाने के ल‍िए मित्सुमाता का इस्‍तेमाल क‍िया जाता है. जापानी सरकार के लिए कागज बनाने वाली कंपनी कानपौ के अध्‍यक्ष को पता था कि मित्सुमाता की पैदावार हिमालय में हुई थी. इसल‍िए जब जापानी करंसी को बनाने वाले कागज की कमी हुई तो उन्होंने नेपाल के तराई क्षेत्र में क‍िसी व‍िकल्‍प की खोज की.

जापान‍ियों के जंगली झाड़ी बनी ऑप्‍शन
उन्‍हें पता लगा क‍ि नेपाल की अरगेली नामक जंगली झाड़ी इसका ऑप्‍शन हो सकती है. इससे पहले तक नेपाल में हिमालय की तराई में रहने वाले पासंग शेरपा जैसे कई किसान इन झाड़ियों को जलाऊ लकड़ी की तरह प्रयोग में लाते थे. 2015 में नेपाल में आए भूकंप के बाद - जापानियों ने नेपाल के क‍िसानों को इस प्रकार की झाड़ी को उगाने और इससे येन के ल‍िए लायक कागज बनाने की ट्रेनिंग देने के लिए एक्सपर्ट को वहां भेजा. नेपाल के क‍िसान पासंग कहते हैं मैंने सोचा भी नहीं था कि यह - झाड़ी एक द‍िन जापान को एक्सपोर्ट हो सकर्त है और इससे हमें लाखों की आमदनी भी हो सकती है.

क‍िसानों को हो रही अच्‍छी कमाई
अब जब जापान की तरफ से अरगेली नामक जंगली झाड़ी को उगाने का प्रश‍िक्षण क‍िसानों को द‍िया गया तो नेपाल के हजारों क‍िसानों ने इसकी खेती शुरू कर दी है. खेती से होने वाली फसल को व्‍यापारी अच्‍छी कीमत पर खरीद रहे हैं. व्‍यापारी इस घास को इकट्ठा करके जापान को न‍िर्यात कर रहे हैं. न‍िर्यात क‍िये जाने से क‍िसान और व्‍यापारी दोनों को अच्‍छा फायदा हो रहा है.

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