Aghori Baba: श्मशान में जाकर शव साधना करते हैं अघोरी, जानें कैसी होती है इनकी दुनिया
Aghori Baba Meaning: भारत में विभिन्न प्रकार के साधु-संत मिल जाते हैं. इनमें से कई तो आपको रोजाना दिख जाएंगे. वहीं, कुछ के दर्शन बेहद दुर्लभ होते हैं. इनकी दुनिया भी बेहद विचित्र होती है. ऐसी ही साधु-संतों के पंथ का नाम है `अघोरी`.
Aghor Panth Connection with Lord Shiva: अघोरी शब्द जेहन में आते ही एक तरह की उत्सुकता जागरूक हो जाती है. इनके बारे में अधिकतर लोगों ने दूसरों से सुना होगा या कहीं पढ़ा होगा. हालांकि, इनको करीब से जानने का मौका काफी कम लोगों को मिल पाता है. यही वजह है कि लोग इनके बारे में जानने को लेकर हमेशा तैयार रहते हैं. अघोरी बाबा तंत्र साधना में लीन रहते हैं. ये अक्सर रात या सन्नाटे के समय श्मशान घाट में तंत्र साधना करते हुए दिख जाते हैं. इनकी दुनिया काफी विचित्र होती है. ऐसे में आइए जानते हैं कि अघोरी पंथ की स्थापना कैसे हुई और कैसी होती है इन साधुओं की दुनिया.
धारणा
अघोरी शब्द का मतलब होता है कि ऐसा इंसान जो किसी से भेदभाव नहीं करता है और काफी सरल स्वभाव के होते हैं. हालांकि, अघोरी को लेकर लोगों के मन में अलग की धारणा बनी हुई है कि उनका पूरा शरीर भस्म में लिपटा होगा. ये लोग नर मुंडों की माला पहनते होंगे. बिखरे और लंबी जटाएं होंगी. हालांकि, ऐसा नहीं है अघोरी बनने से पहले मन से घृणा को हटाना होता है. दुनिया में रहने वाले इंसान जिन चीजों से घृणा करते हैं, उनको अघोरी अपना बना लते हैं.
अघोर पंथ
ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव ने अघोर पंथ की उत्पत्ति की थी. भगवान शिव के अवतार दत्तात्रेय को अघोर शास्त्र का गुरु माना जाता है. अघोरी साधु बाबा कीनाराम की पूजा करते हैं. अघोरी लोग अक्सर श्मशान घाट में अकेले में तंत्र साधना करते हुए पाए जाते हैं. ये लोग यहां श्मशान, शिव और शव तीन तरह की साधना करते हैं.
साधना
ऐसे मान्यता है कि जब अघोरी साधु शव के ऊपर पैर रखकर साधने करते हैं तो उसे शिव और शव साधना कहा जाता है. इस साधना में प्रसाद के रूप में शव का मांस और शराब चढ़ाई जाती है. वहीं, श्मशान साधना में परिवार के लोगों को भी शामिल किया जा सकता है. इस साधना में शव की जगह शवपीठ की पूजा की जाती है. इस पूजा में मावा अर्पित किया जाता है.
स्वभाव
अक्सर लोगों को मानना होता है कि अघोरियों का स्वभाव गुस्से भरा और रूखा होता है. हालांकि, ऐसा नहीं है. वह ऊपर से तो कठोर नजर आते हैं, लेकिन प्रसन्न होने पर उसे अपनी सिद्धि देने को भी तैयार हो जाते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)