Chhath Puja 2023: छठ पूजा में क्यों किया जाता है बांस के सूप का इस्तेमाल, संतान की तरक्की से जुड़ा है कारण
Chhath Puja 2023: हिंदू धर्म में छठ पूजा को सबसे पवित्र पर्व में से एक माना जाता है. चार दिनों तक चलने वाले छठ का शुभारंभ शुक्रवार 17 नवंबर से होने वाला है जिसका समापन 20 नवंबर को होगा. छठ में बांस के सूप का बहुत बड़ा महत्व है, जिसके बारे में विस्तार में जानें.
Importance Of Bamboo Soop: लोक आस्था का पर्व छठ पूजा की शुरुआत शुक्रवार 17 नवंबर को नहाय खाय से होने वाली है. लगातार चार दिनों तक चलने वाला महापर्व का सभी को बेसब्री से इंतजार रहता है. छठ पूजा भगवान सूर्य और छठी मैया को समर्पित होता है. इस दौरान व्रती अपनी संतान की सलामती और परिवार की खुशहाली के लिए उपवास रखती हैं. कई जगह छठ को प्रतिहार, डाला छठ, छठी और सूर्य षष्ठी के नाम से जाना जाता है.
सूप के बिना अधूरी होती है छठ पूजा
छठ पूजा संतान के लिए ही की जाती है. दरअसल इसके पिछे एक बहुत बड़ा धार्मिक महत्व छिपा हुआ है. छठ पूजा को निसंतान दंपत्तियां द्वारा संतान के प्राप्ति के लिए किया जाता है. इतना ही नहीं इस व्रत को करने से संतान की सेहत तो अच्छी रहती ही है साथ ही उसके जीवन में उसे हर प्रकार की सफलता हासिल हो उसके लिए भी किया जाता है. मूल रूप से देखा जाए तो इस पूजा को संतान के लिए ही किया जाता है. इसलिए छठ में बांस के सूप का प्रयोग करते हैं. जो कि इस बात का प्रतीक होता है कि जैसे जैसे बांस तेजी से बढ़े वैसे वैसे संतान की भी प्रगति हो. यही वजह है कि छठ में बांस के सूप का इस्तेमाल किया जाता है और इसके बिना पूजा अधूरी होती है.
सूप के इस्तेमाल करने के पीछे की मान्यता
छठ में सूर्य की पूजा में अर्घ्य देते वक्त बांस के सूप का ही इस्तेमाल करते हैं. पूजा के समय व्रती बांस के बने सूप, टोकरी या देउरा में प्रसाद आदि रखकर छठ घाट पर जाती हैं. फिर इन्हीं सामग्रियों द्वारा सूर्य देव को अर्घ्य देती हैं. बांस के बने इन्हीं सूप और टोकरी की मदद से छठी मैया को भेंट दिया जाता है. मान्यताओं की माने तो बांस से पूजा करने से धन और संतान के सुख की प्राप्ति होती है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)