Uttarabhadra Nakshatra Lord: तारामंडल के 26वें नक्षत्र का नाम है उत्तराभाद्रपद. यह नक्षत्र पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र से संबंधित होता है. उत्तराभाद्रपद का अर्थ है शुभ पांव वाला, इसे चारपाई के पीछे के पांव से दर्शाया गया है. इस नक्षत्र का देवता अतिर्बुधन्य को माना गया है. इनकी शारीरिक संरचना में नीचे का भाग सर्प की भांति और ऊपर का हिस्सा किसी कल्याणकारी देवता की भांति होता है, जिनका दाहिना हाथ अभय मुद्रा वाला है. इन्हें विष्णु जी को शैय्या प्रदान करने वाला अर्थात शेषनाग भी माना गया है. यह नक्षत्र मीन राशि में पड़ता है, इसलिए जिन लोगों की मीन राशि है, उनका उत्तराभाद्रपद नक्षत्र हो सकता है. 


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इस राशि के लोग सोच-समझ कर कार्य करने वाले धीर गंभीर तो होते हैं, लेकिन इन लोगों को अधिक सुख-सुविधा मिल जाए तो इनके अंदर तुरंत ही आलस्य की भावना आ जाती है, इसलिए इनको सदैव एक्टिव रहना चाहिए. एक्टिव न रहने पर यह अपने गुणों का उपयोग नहीं कर सकेंगे.


यदि इनके मन मुताबिक काम न किया जाए तो यह क्रोधित हो जाते हैं और क्रोध के दौरान आपा खोकर अति कटु वचन बोलने में भी परहेज नहीं करते हैं, इसलिए इन्हें विषम परिस्थिति में विवेक से काम लेना चाहिए. यह लोग अचानक हुए परिवर्तन को स्वीकार नहीं कर पाते हैं. अपनी कल्पनाओं को टूटते या खत्म होते नहीं देख पाते और इसी कारण यह कभी-कभी परिस्थितियों में अनफिट दिखाई देते हैं.   


उपाय


उत्तराभाद्रपद नक्षत्र की वनस्पति होती है नीम. नीम एक तेजी से बढ़ने वाला पेड़ है. नीम की विशेषताओं के विषय में तो सभी लोग परिचित है. यह भारत के पर्यावरण के अनुकूल है और बहुतायत में पाया जाता है. आयुर्वेद में भी नीम को बहुत ही उपयोगी पेड़ माना गया है. इसका स्वाद तो कसैला होता है, लेकिन इसके फायदे अनेक होते हैं. इस वृक्ष की जड़ से लेकर फल तक औषधीय गुणों से भरा है. चर्म रोगों और रक्त शोधन के लिए तो यह रामबाण दवा है. उत्तराभाद्रपद नक्षत्र वालों को नीम का पेड़ अधिक से अधिक लगाना चाहिए, इससे उनके जीवन में सुख-समृद्धि आएगी.


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