शनि के उपाय: नए साल से पहले शनिवार की शाम कर लें ये उपाय! पूरे साल छू भी नहीं पाएंगी परेशानियां
Shani Dev 2023 Astrology in Hindi: कल साल 2022 का आखिरी शनिवार है जो कि बेहद ख़ास है. इस शनिवार को ये उपाय करने से शनिदेव अति प्रसन्न होंगे. शनि देव के प्रसन्न होने से पूरे साल हर समस्या से मुक्त रहेंगे.
Shani Dev Upay, Raja Dasharath krit Shani Stotra: साल 2022 के आखिरी दिन यानी कि 31 दिसंबर को शनिवार पड़ रहा है. इस दिन शनि से जुड़े कुछ उपाय करना आपके लिए आने वाले नए साल को खुशगवार बना सकता है. नए साल की पूर्व संध्या पर किए गए शनि के ये उपाय आपको तमाम परेशानियों-कष्टों से बचाएंगे. साथ ही आपकी सोई किस्मत जगाएंगे और साल 2023 में सफलता दिलाएंगे.
साढ़े साती-ढैय्या के कष्टों से भी मिलेगी राहत
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक शनि की साढ़े साती और ढैय्या जमकर कष्ट देती है. ऐसे में शनि देव को प्रसन्न करने वाले उपाय करते रहना चाहिए. इससे शनि की कृपा से सारी तकलीफें दूर होती हैं और तरक्की के रास्ते खुलते हैं. चूंकि साल 2023 की शुरुआत में ही शनि गोचर करने जा रहे हैं, ऐसे में मकर राशि, कुंभ राशि और मीन राशि पर शनि की साढ़ेसाती और कर्क एवं वृश्चिक राशि पर शनि ढैय्या का प्रकोप शुरू हो जाएगा. लिहाजा इन जातकों के लिए शनि से जुड़े ये उपाय जरूर कर लेने चाहिए. इसके लिए कल 31 दिसंबर 2022, शनिवार की शाम को शनि मंदिर जाकर सरसों के तेल का दीपक जलाएं. तेल में काली तिल जरूर डालें. इसके बाद शनि स्त्रोत का पाठ करें. यदि मंदिर ना भी जा पाएं तो शनि देव का ध्यान करके शनि स्त्रोत का पाठ करें. इससे नया साल सुख-समृद्धि, सफलता, धन लेकर आएगा.
शनि स्त्रोत
नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च।
नम: कालाग्निरुपाय कृतान्ताय च वै नमः। 1
नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते। 2
नम: पुष्कलगात्राय स्थुलरोम्णेऽथ वै नमः।
नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते। 3
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नमः।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने। 4
नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च। 5
अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते।
नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तु ते। 6
तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नमः। 7
ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रूष्टो हरसि तत्क्षणात्। 8
देवासुरमनुष्याश्र्च सिद्ध-विद्याधरोरगा:।
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत:। 9
प्रसाद कुरु मे सौरे ! वारदो भव भास्करे।
एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबल:। 10
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)