गणेश जी के प्रिय फूल: गणेश महोत्सव की तैयारियों गली-मोहल्लों से लेकर पूरे देश में शुरू हो चुकी हैं. भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से शुरू होने वाले इस दस दिवसीय उत्सव के लिए जगह-जगह गणपति को विराजमान कर, उनका नित्य पूजन-अर्चन करने की योजना साकार की जा रही है. गणेश चतुर्थी का उत्सव 19 सितंबर से शुरू हो रहा है. हर कोई चाहता है कि इस अवसर पर वह गणपति को प्रसन्न कर अपने सारे कष्टों को दूर कर घर-परिवार को खुशियों से भर दें. यदि आप भी ऐसी ही इच्छा रखते हैं तो समझ लीजिए कि कुछ ऐसे फूल हैं, जिन्हें अर्पित करने से गणेश जी प्रसन्न होकर अपने भक्तों के कष्टों को दूर कर देते हैं. 


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सभी देवों में गणेश जी की पूजा सर्वप्रथम की जाती है. गणेश जी को गुड़हल का लाल फूल विशेष प्रिय होता है. इस पुष्प को अर्पित करने से वह अपने भक्तों के जीवन को विघ्न-बाधाओं से मुक्त करते हैं. चांदनी, चमेली या पारिजात के फूलों की माला पहनाने से भी गणेश जी प्रसन्न होकर अपनी कृपा बरसाते हैं.  


गुड़हल


जिस तरह गणेश जी को लाल रंग के गुड़हल का फूल प्रिय है, उसी तरह से मां दुर्गा को भी यह लाल गुड़हल पसंद है. जो श्रद्धालु उन्हें यह फूल पूरी आस्था और विश्वास के साथ चढ़ाते हैं, उनके दुख कष्टहरणी माता दुर्गा हर लेती हैं और उनकी परेशानियों को दूर कर भक्तों की झोली को खुशियों से भर देती हैं. 


भगवान शिव


शिवजी भी पुष्प अर्पण से प्रसन्न होते हैं. कहा गया है कि किसी ब्राह्मण को सौ सोने की मुद्रा दान देने से जो फल प्राप्त होता है. वही फल शिवजी को सौ पुष्प अर्पित करने से मिलता है. सोने की दस मुद्राओं के दान का फल आक का एक फूल चढ़ाने से मिलता है. इसी तरह हजार आक के फूलों का फल कनेर के एक फूल से और कनेर के हजार फूलों के बराबर एक बिल्वपत्र को माना गया है. शिवजी को प्रसन्न करने के लिए एक बिल्वपत्र भी पर्याप्त है, लेकिन शिवजी को कभी भी केतकी यानी केवड़े का फूल नहीं चढ़ाना चाहिए.


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