Hal Shashti: भगवान बलराम के जन्मोत्सव पर हलषष्ठी व्रत और पूजा का विशेष महत्व
हलषष्ठी भगवान कृष्ण के प्रिय भाई बलराम की जन्म तिथि के रूप में मनाया जाता है. हलषष्ठी कृष्ण जन्माष्टमी से दो दिन पहले मनाया जाता है. यह माना जाता है कि द्वापर युग में भाद्रपद मास की षष्ठी पर बलराम जी ने जन्म लिया था.
Hal Shashti 2023: हलषष्ठी भगवान कृष्ण के प्रिय भाई बलराम की जन्म तिथि के रूप में मनाया जाता है. हलषष्ठी कृष्ण जन्माष्टमी से दो दिन पहले मनाया जाता है. यह माना जाता है कि द्वापर युग में भाद्रपद मास की षष्ठी पर बलराम जी ने जन्म लिया था. उनके जन्मोत्सव को हलषष्ठी के नाम से मनाने की परंपरा है.
शुभमुहूर्त
इस वर्ष हलषष्ठी की पूजा 5 सितंबर को होगी, जिसकी शुरुआत 4 सितंबर की शाम 4:41 पर होगी और यह 5 सितंबर को दोपहर 3:56 पर समाप्त होगा.
पूजा की विधि
इस व्रत में महिलाएं खास तौर पर जमीन से पैदा हुई चीजों का सेवन नहीं करती, बजाय इसके वह तालाब में पैदा होने वाली खास चीजें खाती हैं. व्रत के दिन, महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हैं, घर की सफाई करती हैं और पूजा के लिए स्थल को तैयार करती हैं. इसके बाद, वह विशेष विधि से पूजा आयोजित करती हैं. पूजा में उन्हें विशेष रूप से सात प्रकार का अनाज चढ़ाना होता है. व्रत का पारण रात्रि में चंद्रमा के दर्शन के बाद किया जाता है.
मान्यता
इस व्रत को करने से मान्यता है कि घर में सुख-समृद्धि और संतान सुख की प्राप्ति होती है. इसलिए, इसे विशेष भावना और आस्था के साथ किया जाता है. इस व्रत के माध्यम से लोग भगवान बलराम जी से अपनी और अपने परिवार की भलाई की कामना करते हैं.