Samsaptak Yoga: वैदिक ज्योतिष में ग्रह समय-समय पर गोचर करते रहते है. इनके राशि परिवर्तन करने के साथ ही दूसरे ग्रहों के साथ युति बनती है. इससे कई तरह के शुभ और अशुभ योग और राजयोग का निर्माण होता है. न्याय के देवता इस समय कुंभ राशि में गोचर कर रहे हैं. वहीं, ग्रहों के सेनापति 1 जुलाई को सिंह राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं. इन दोनों को एक-दूसरे का शत्रु ग्रह माना जाता है. ऐसे में समसप्तक योग का निर्माण होने जा रहा है.


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समसप्तक योग 


दरअसल, जब कोई दो ग्रह अलग-अलग राशियों में सातवें स्थान पर होते हैं तो इस स्थिति में समसप्तक योग का निर्माण होता है. मंगल 1 जुलाई को सिंह राशि के सातवें स्थान पर गोचर करेंगे. इस समय शनि भी कुंभ राशि में सातवें स्थान पर होंगे. वैसे तो समसप्तक योग को शुभ माना जाता है, लेकिन दोनों ग्रहों की शत्रुता के कारण यह योग हानिकारक फल प्रदान करेगा.


असर


दोनों ग्रहों से बनने वाले समसप्तक योग देश-दुनिया के लिए सही नहीं रहेगा. इस योग के अशुभ असर से लोगों को प्राकृतिक आपदा का सामना करना पड़ सकता है. देशों के बीच सीमा पर तनाव की स्थिति हो सकती है. राजनीतिक उथल-पुथल भी देखने को मिल सकती है. कई अशुभ समाचार सुनने को मिल सकते हैं.


उपाय 


समसप्तक योग के दुष्प्रभाव से बचने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं, जिससे इसके अशुभ असर को कम किया जा सके. हनुमान जी की पूजा करने से हानिकारक असर कम होता है. लाल चंदन या सिंदूर का तिलक लगाना चाहिए. गेहूं और मसूर के दाल का दान करना चाहिए. इन उपायों को करने से कई तरह  के दुष्परिणामों से बचा जा सकता है.


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)