Margashirsha Month 2023: 28 नवंबर से शुरू होगा श्री कृष्ण को समर्पित मार्गशीर्ष माह, किन देवताओं की पूजा से मिलेगा दोगुना फल? जानें
Margashirsha Purnima: मार्गशीर्ष माह को अगहन माह के नाम से भी जाना जाता है. मार्गशीर्ष माह में श्रीकृष्ण भगवान की पूजा-अर्चना करना शुभ माना जाता है. इसके अलावा अन्य देवी-देवताओं की पूजा करना भी शुभ होता है.
Margashirsha Mahina Kab Se Hai: कार्तिक मास के आखिरी दिन के बाद से मार्गशीर्ष माह की शुरुआत हो जाती है. ये हिंदू कैंडलर के हिसाब से नौंवा महीना माना जाता है. मार्गशीर्ष माह को अगहन माह के नाम से भी जाना जाता है. मार्गशीर्ष माह में श्रीकृष्ण भगवान की पूजा-अर्चना करना शुभ माना जाता है. इसके अलावा इस महीने में सूर्य भगवान की भी पूजा करना फलदायी होता है.
बता दें कि इस बार मार्गशीर्ष माह की शुरुआत 28 नवंबर से हो रही है जो 26 दिसंबर तक चलेगा जिसके बाद पौष माह की शुरुआत हो जाएगी. इस माह में सूर्य भगवान और श्रीकृष्ण की पूजा के अलावा अन्य देवी-देवता की पूजा करना भी शुभ रहता है. तो आइए जानते हैं मार्गशीर्ष माह में किन देवी-देवता की पूजा करनी चाहिए.
मार्गशीर्ष माह में करें इन देवी-देवताओं की पूजा.
भगवान श्रीकृष्ण की पूजा
मार्गशीर्ष मास में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करना शुभ माना जाता है. इस महीने में श्रीकृष्ण के केशव स्वरूप की पूजा की जाती है. कहते हैं कि इस महीने में श्रीकृष्ण के केशव स्वरूप की पूजा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. इस महीने में श्रीकृष्ण के केशव स्वरूप की पूजा के दौरान उनका अभिषेक जरूर करें इसके लिए दूध में केसर का इस्तेमाल करें.
सूर्य भगवान
मार्गशीर्ष मास में सूर्य भगवान की पूजा का भी विधान है. इस महीने में रोजाना सूर्येदेव को अर्घ्य देने से हर दर्द-पीड़ा दूर हो जाती है. सूर्यदेव की पूजा से व्यक्ति रोग मुक्त रहता है.
मां लक्ष्मी
मार्गशीर्ष महीने में हर शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए. शुक्रवार का दिन लक्ष्मी मां को समर्पित है. कहते है कि मार्गशीर्ष माह में मां लक्ष्मी धरती पर आती हैं और अपने भक्तों को धन-धान्य का आशीर्वाद देती हैं. इसलिए इस माह में लक्ष्मी मां की पूजा जरूर करें और उन्हें पूजा में लाल फूल जरूर अर्पित करें.
काल भैरव
मार्गशीर्ष माह में काल भैरव की पूजा-अर्चना भी की जाती है. इस महीने में काल भैरव अष्टमी भी जाती है. इस बार अगहन माह में काल भैरव अष्टमी 5 दिसंबर को है इस दिन पूरी श्रद्धा भाव से काल भैरव की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय दूर हो जाता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)