Navratri Vrat Katha: महर्षि नारद के मार्गदर्शन में भगवान श्री राम के साथ उनके छोटे भाई लक्ष्मण ने भी नवरात्रि का व्रत और विधिवत पूजन और हवन किया था, तो अष्टमी की आधी रात को चमत्कार हो गया था. मध्य रात्रि के समय पूजन होने के बाद मां भगवती सिंह पर विराजमान होकर वहां पर पधारी और दोनों भाइयों को दर्शन दिए. पर्वत के ऊंचे शिखर पर विराजमान होकर मां ने भगवान राम और लक्ष्मण से गंभीर वाणी में कहा कि आप दोनों ने अपनी भक्ति भावना से मुझे प्रसन्न कर दिया. मैं व्रत से अत्यंत संतुष्ट हूं और अब आपके मन में जो भी अभिलाषा हो, वह वर मांग लीजिए.


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मां दुर्गा ने श्री राम को याद दिलाया पराक्रम
मां भगवती ने श्री राम को याद दिलाया कि आप भगवान नारायण के अंश से प्रकट हुए हैं. आपका अवतार मनु के पावन वंश में हुआ है. रावण-वध के लिए देवताओं की प्रार्थना करने पर ही आपने अवतार लिया है. इसके पहले भी आपने मत्स्य अवतार धारण कर राक्षस का संहार किया था. फिर कच्छप रूप में प्रकट होकर मंदराचल को पीठ पर धारण कर लिया, आप तो वाराह रूप में भी प्रकट हो चुके हैं, उस समय आपने पृथ्वी को दांत के अगले हिस्से पर उठा लिया था. आपके हाथों ही हिरण्याक्ष की जीवन लीला समाप्त हुई थी. नृसिंह रूप धारण करके आपने हिरण्यक्शयप को मार कर भक्त प्रहलाद की रक्षा की थी.


माता हुई प्रसन्न
अब देवताओं के प्रार्थना करने पर आप राजा दशरथ के यहां पुत्र रूप में प्रकट हुए हैं. हे रघुकुल नंदन, आपके सहयोग में उपस्थित यह सभी वानर देवताओं के ही अंश और अत्यंत बलशाली हैं. इन सबमें मेरी शक्ति निहित है और आपका छोटा भाई लक्ष्मण शेषनाग के अवतार हैं. रावण के पुत्र मेघनाद का वध इनके हाथों ही होगा. आप पापी रावण को मारकर सुखपूर्वक राज्य करेंगे. इस धरा पर अगले 11000 वर्षों तक आपका राज्य रहेगा. इतना कह कर मां भगवती अंतर्ध्यान हो गईं. भगवान राम का मन प्रसन्नता से भर गया और नवरात्रि का पूजन कर उन्होंने अपना अवतार कार्य पूर्ण किया.