Panchamahapurush Yoga: कुंडली का यदि योग प्रबल हो तो व्यक्ति धनवान होता ही है, साथ ही भाग्य का भी पूर्ण सहयोग प्राप्त होता है. जिन लोगों की कुंडली में यह योग बन जाए तो व्यक्ति को अधिक परेशान नहीं होना पड़ता. बाधा तो आती है, लेकिन समय रहते कोई न कोई रास्ता अपने आप ही बनता चले जाता है. ग्रहों का एक विशेष कांबिनेशन योग का निर्माण करता है. फेवर में चल रहें ग्रहों की दशा या फिर गोचर के माध्यम से यह एक्टिव होते हैं तो इस समय इन योगों से अच्छा परिणाम देखने को मिलता है. पंचमहापुरुष योग इनमें से एक है. यह योग कुंडली में पांच तरह के योगों के निर्माण से बनता है.


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महाभाग्य योग


पुरुष- यदि किसी पुरुष का जन्म दिन का हो और लग्न ,सूर्य तथा चन्द्रमा विषम राशि में स्थित हों. स्त्री- यदि किसी महिला का जन्म रात का हो और लग्न, सूर्य तथा चन्द्रमा सम राशि में स्थित हों. कुंडली में यह योग होने का मतलब है कि आपको भाग्य का पूरा सहयोग प्राप्त होगा.


सुनफा योग


यदि चंद्रमा से दूसरे भाव में कोई ग्रह हो (सूर्य को छोड़कर) तो सुनफा योग बनता है. व्यक्ति राजा के समान जीवन प्राप्त करता है. मेहनत के बल पर धन-सम्पत्ति अर्जित करता है. व्यक्ति अपनी बौद्धिक क्षमता के कारण सम्मानित और प्रसिद्ध होगा. वह धनी तथा प्रतिष्ठित होगा.


अनफा योग


यदि चंद्रमा में 12वें भाव में ग्रह हो (सूर्य को छोड़कर) तो अनफा योग बनता है. अनफा योग में उत्पन्न व्यक्ति राजा होगा. रोग से मुक्त, सदाचारी, प्रसिद्ध, आकर्षक और सुखी होगा.


दुरधरा योग


जब चंद्रमा से दोनों ओर ग्रह हो तो दुरधरा योग बनता है.  इसका अर्थ यह है कि अनफा और सुनफा दोनों ही विद्यमान है. व्यक्ति आन्नद को भोग करेगा, दान करने वाला, धनि व्यक्ति, जन्म से ही उत्कर्ष होगा. 


गजकेसरी योग  


केन्द्रे देवगुरौ लग्नाच्चनद्रद्धा शुभदृगयुते।


नीचास्तारिगृहैहीने योगेSयं गजकेसरी।।


यदि बृहस्पति नीच का न हो, अस्त न हो, शत्रु राशि में न हो और लग्न या चन्द्रमा से केन्द्र में स्थित हो और दूसरे ग्रह से युक्त या दृष्ट हो तो गजकेसरी योग बनता है. गजकेसरी योग में उत्पन्न जातक बलवान धनी, लाभ कमाने वाला होता है. वह मेधावी, तेज और राजा का प्रिय होता है.


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