Saubhagya Sundari Vrat Katha: हिंदू मान्यताओं में सौभाग्य सुंदरी व्रत की खास अहमियत है. पंचाग के मुताबिक, हर साल मार्गशीर्ष  महीने के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को यह व्रत रखा जाता है. इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा की जाती है. शास्त्रों के मुताबिक, जो शादीशुदा महिलाएं यह व्रत रखती हैं उन्हें अखंड सौंदर्य और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. आइए आपको अब इस व्रत का महत्व और पूजा मुहूर्त के बारे में बताते हैं.


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कब है व्रत


पंचाग के अनुसार, मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि 10 नवंबर को 6 बजकर 31 बजे से शुरू हो रही है और समापन अगले दिन यानी 11 नवंबर को रात 8 बजकर 17 मिनट पर होगा. लिहाजा सौभाग्य सुंदरी व्रत 11 नवंबर को रखा जाएगा.


 शुभ मुहूर्त क्या है?


सुबह 9 बजकर 22 मिनट से सुबह 10 बजकर 43 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त है.


बन रहे ये शुभ योग


पंचाग के मुताबिक, इस वर्ष सौभाग्य सुंदरी व्रत के मौके पर सिद्ध और शिव योग बन रहे हैं. शिव योग सुबह से रात्रि 9.30 बजे तक है. इसके बाद सिद्ध योग शुरू हो जाएगा. मंगल कार्यों के लिए सिद्ध और शिव योग बेहद शुभ माने जाते हैं. लिहाजा इस दिन की बहुत ज्यादा अहमियत है.


क्या है पूजा-विधि


सुबह जल्दी उठकर नित्य कर्म और स्नान करने के बाद साफ-सुथरे कपड़े पहनें. पूजा स्थल पर चौकी रखें और उस पर भगवान शिव और माता पार्वती की तस्वीर स्थापित करें. भोले नाथ और माता पार्वती का षोडशोपचार पूजन करें. महादेव को बेलपत्र, धतूरा और भांग चढ़ाएं.


 पति की लंबी उम्र और सौभाग्य हासिल करने के लिए सौभाग्य सुंदरी व्रत किया जाता है. माता पार्वती को सुहाग सामग्री चढ़ाएं और महादेव का अभिषेक करें. यह व्रत रखने से शादीशुदा जिंदगी की सभी परेशानियां दूर होती हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है. महादेव का रुद्राभिषेक करने से रोग दूर भागते हैं.


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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)