Shani ki Sade Sati and Dhaiya: शनि देव कुंभ राशि वालों की लग्न में 17 जनवरी को प्रवेश कर चुके हैं. यूं तो बीते ढाई सालों से उनकी साढ़े साती चल ही रही थी, किंतु अब उसका चरम चरण शुरु हो चुका है. शनि कुंभ राशि वालों के स्वामी भी हैं. वैसे मकर राशि पर साढ़े साती का अंतिम चरण और मीन राशि पर साढ़ेसाती की ढैय्या शुरू हो गई है. शनि के प्रभाव को कम करने के लिए पीपल के पेड़ पर दीपक जलाने का विधान है.


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वैज्ञानिक रूप से समझें तो पीपल का पेड़ सर्वाधिक ऑक्सीजन छोड़ता है. इस तरह से यह पेड़ मानव मात्र का परम मित्र है, मनुष्य को जीवनदायिनी शक्ति देने वाला है. पीपल के पेड़ की जड़ से लेकर तना, छाल, टहनियां, पत्ते, फल आदि सभी कुछ मनुष्य के जीवन के लिए अमृत है. कई असाध्य रोगों में इसका प्रयोग किया जाता है. आयुर्वेद के ग्रंथों में इसका विस्तृत वर्णन मिलता है. 


साढ़ेसाती से प्रभावित लोगों के शरीर में कार्बन डाई आक्साइड की मात्रा अधिक होने लगती है, इसलिए उन्हें सबसे अधिक ऑक्सीजन छोड़ने वाले पीपल के वृक्ष का पूजन करना बताया जाता है, ताकि पूजा के दौरान वह पीपल के पेड़ के निकट रहते हुए अधिक से अधिक ऑक्सीजन को प्राप्त कर सकें. जिन लोगों की शनि की साढ़ेसाती चल रही है, उन्हें पीपल के वृक्ष के नीचे तिल के तेल का दीप जलाना चाहिए, ऐसा करना उनके लिए लाभकारी होता है.


दीपक जलाने वालों को एक बात गांठ बांध लेना चाहिए कि तेल, दीप और बाती घर से लेकर जाएं. शनिवार के दिन तेल का खरीदना वर्जित होता है. शनि की मूर्ति दर्शन करने की बजाय उनकी प्रतीकात्मक पूजा करना ही श्रेष्ठ होता है.


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