Shankpal Kaal Sarp Dosh: कई प्रकार के कालसर्प योग बताए गए हैं, जिनमें प्रमुख 12 कालसर्प योग होते हैं. इन्हीं में चौथा कहलाता है शंखपाल कालसर्प योग. इस योग में राहु चतुर्थ भाव में होता है, जबकि केतु दशम भाव में. बाकी सभी ग्रह इन दोनों भावों के बीच में एक ही तरफ रहते हैं. शंखपाल कालसर्प दोष के प्रभाव से व्यवसाय, नौकरी, पढ़ाई आदि के क्षेत्र में रुकावटें आती हैं. व्यापारियों को जबरदस्त घाटे का सामना करना पड़ता है. आर्थिक स्थिति इतनी अधिक खराब हो जाती है कि दिवालिया होने तक की परिस्थितियां आ सकती हैं. 


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ऐसे व्यक्ति सदैव अज्ञात भय से घिरे रहते हैं. यह दोष माता-पिता से मिलने वाले स्नेह, आशीर्वाद और सुख को कम करता है. किसी भी बात को लेकर माता से विवाद हो जाता है. संबंधों में खटास आ जाने से उनसे मिलने वाला सहयोग भी कम हो जाता है. ऐसे व्यक्ति मानसिक उलझनों से घिरे रहते हैं. मकान और भूमि के मामलों में उन्हें नुकसान होने की संभावना बनी रहती है. जहां तक मित्रों का सवाल है किसी समस्या पर उनसे पूरा सहयोग नहीं मिल पाता है. इस दोष के कारण ही वाहन सुख से व्यक्ति दूर ही रहता है. घर के नौकरों के कारण भी व्यक्ति को कष्ट प्राप्त होता है. कोई भी कार्य बिना बाधा के नहीं पूरा होती है इसलिए ऐसे लोगों को एक साथ कई कार्य नहीं करने चाहिए. 


उपाय


शंखपाल कालसर्प दोष को कम करने के लिए चांदी के सर्प किसी बहती नदी में प्रवाहित करना चाहिए. भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति को पहले मोरपंख से सजाएं फिर उसकी पूजा करने से दोष में कमी आती है. कालसर्प दोष की शांति के लिए मूर्ति का नित्य पूजन करें  दिन में न सोएं और सुबह जल्दी उठकर एक्सरसाइज करें या पार्क में टहलें. नाग मंत्र का नित्य जाप करना चाहिए.


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