Pitru Paksha 2023: पितृ पक्ष में इस धातु के बर्तन में भूलकर भी न बनाएं खाना, पितरों को नाराज होने में नहीं लगेगी देर
Pitru Paksha Rules: पितृ पक्ष की शुरुआत हो चुकी है. इस दौरान कई ऐसी मुख्य बातों का जिक्र किया गया है, जिन्हें नजरअंदाज करना बहुत भारी पड़ सकता है. आपकी जरा सी लापरवाही पितरों को नाराज कर सकती है. जानें इस दौरान किन नियमों का पालन करना बेहद जरूरी है.
Pitru Paksha ke Niyam: भाद्रपद मास में 29 सितंबर से पितृपक्ष की शुरुआत हो चुकी है. हिंदू धर्म में इसका विशेष महत्व बताया गया है. पितृ पक्ष के 16 दिन पूर्वजों के निमित श्राद्ध कर्म और तर्पण आदि किया जाता है. इससे उनकी आत्मा को शांति मिलती है और वे प्रसन्न होकर वंशजों पर कृपा बरसाते हैं. उन्हें जवन में सुख-समृद्धि और धन-वैभव की प्राप्ति होती है. लेकिन अगर इस दौरान कुछ चीजों को ध्यान न रखा जाए, तो व्यक्ति को पूर्वजों की नाराजगी का सामना करना पड़ता है.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार व्यक्ति को कई बार पितृ दोष का सामना भी करना पड़ता है. इतना ही नहीं, श्राद्ध कर्म को विधिपूर्वक करने के अलावा की अन्य बातों का भी ध्यान रखना बेहद जरूरी है. ये छोटी-छोटी गलतियां व्यक्ति के जीवन में तूफान ले आती हैं. पितृ पक्ष में किन नियमों को पालन करना बेहद जरूरी है आइए जानें. इस दौरान किचन में कुछ धातुओं का इस्तेमाल निषेध बताया गया है.
पितृ पक्ष में भूलकर भी न करें इन धातुओं का इस्तेमाल
लोहे के बर्तन का न करें प्रयोग
भूलकर भी पितृ पक्ष के दौरान किचन में लोहे के बर्तन का इस्तेमाल भूलकर भी नहीं करना चाहिए. इस दौरान लोहे के बर्तन में खाना नहीं बनाना चाहिए. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितृ पक्ष में लोहे के बर्तन में खाना बनाने से पितृ नाराज हो जाते हैं. दरअसल पितृपक्ष के दौरान पितृ लोहे के बर्तन में खाना बनाने से तृप्त नहीं हो पाते हैं, यही वजह है कि इस दौरान लोहे के बर्तन का इस्तेमाल ना करें. इससे उनकी आत्मा को शांति नहीं मिलती है.
जानें जरूरी नियम
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पितृ पक्ष के 16 दिन बहुत खास होते हैं. इसमें प्रतिदिन गाय के लिए दो रोटी जरूर निकाल लें. इसके बाद उस पर गुड़ लगाकर अपने पितृ को याद कर उन्हें दें. इससे पितर प्रसन्न होते हैं.
- बता दें कि पितरों के आशीर्वाद के लिए इस दौरान दान करना शुभ माना जाता है. इसलिए पितृ पक्ष में ब्राहृम्णों को भोजन जरूर कराएं. यहां तक कि श्राद्ध की क्रिया के बाद गाय, कुत्ते और कौए को भी भोजन कराना आवश्यक माना गया है.
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस एक बात का और ध्यान रखें कि यदि कोई शादीशुदा व्यक्ति श्राद्ध कर रहा है तो उसके साथ उसकी पत्नी का होना भी जरूरी है. व्यक्ति कभी अकेले नहीं रहे. इसके अलावा पितृ पक्ष में किसी भी प्रकार के सौंदर्य वर्धक साधनों का प्रयोग करने से बचें.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)