Swati Nakshatra Zodiac Sign: 15वां नक्षत्र स्वाति कहलाता है. स्वाति का अर्थ है शुभ नक्षत्र पुंज. चंद्रमा जब  स्वाति नक्षत्र में आए और उस समय वर्षा हो तो उसे बहुत ही शुभ माना जाता है. नन्हे पौधे की शाखाओं का हवा में झूलना स्वाति नक्षत्र का प्रतीक चिह्न माना जाता है. नन्हे पौधों की शाखाएं कोमलता और निर्मलता को दर्शाती हैं. इस नक्षत्र के लोग स्वतंत्रता व स्वावलंबन पाने के इच्छुक होते हैं. इस नक्षत्र के देवता पवन देव हैं. स्वाति नक्षत्र तुला राशि में पड़ता है, इसलिए जिन लोगों की तुला राशि है, उनका स्वाति नक्षत्र हो सकता है. स्वाति नक्षत्र का संबंध विद्या की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती से भी है, जिन्हें सभी प्रकार की विद्या प्रदान करने वाली देवी माना जाता है. 


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स्वाति नक्षत्र के लोग कल्पनाशील और मौलिक विचार वाले होते हैं. इन लोगों को तुरंत ही कोई निर्णय लेने में असुविधा होती है, क्योंकि यह संतुलन को बहुत वरीयता देते हैं. संतुलन बनाने के चक्कर में यह तुरंत ही कोई निर्णय नहीं ले पाते हैं. 


इन लोगों को अपने कम्युनिकेशन को कंप्लीट करने की आदत बनानी चाहिए. जैसे इस नक्षत्र के लोगों ने किसी को कोई काम बताया है तो उससे हामी भरवा लें और काम पूरा होने के बाद उससे कन्फर्म भी कर लें. इनका आत्मविश्वास थोड़ा कमजोर रहता है, इसलिए इनको प्रेरणा स्रोत की आवश्यकता बनी रहती है. 


उपाय


इस नक्षत्र की वनस्पति अर्जुन का पेड़ है. अर्जुन वृक्ष भारत में पाया जाने वाला एक औषधीय वृक्ष है. हृदय रोग के इलाज में अर्जुन की छाल बहुत उपयोगी होती है या यूं कहा जाए कि हृदय को मजबूत करने के लिए अर्जुन बहुत ही उपयोगी होता है. इस नक्षत्र के लोगों को अर्जुन के वृक्ष लगाने चाहिए. उनको खाद पानी देने के साथ ही उनकी सुरक्षा और उपासना भी करनी चाहिए.