Diwali Puja me Kheel Batashe kyu Chadate hain: दिवाली हिंदू धर्म का सबसे महत्‍वपूर्ण त्‍योहार है. 5 दिन के इस दीपोत्‍सव पर्व में लोग मां लक्ष्‍मी, कुबेर देव, भगवान गणपति और मां सरस्‍वती की पूजा करते हैं. ताकि जीवन में खूब सुख-समृद्धि रहे. मां लक्ष्‍मी की पूजा बड़ी दिवाली के दिन यानी कि कार्तिक मास की अमावस्या की रात की जाती है. इस साल यह पर्व 24 अक्‍टूबर 2022 को मनाया जाएगा. इसी दिन भगवान राम 14 साल के वनवास के बाद अयोध्‍या पहुंचे थे और उनकी प्रजा दीपक जलाकर उनका स्‍वागत किया था. 


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मां लक्ष्‍मी को जरूर चढ़ाएं खील-बताशे का प्रसाद 


दिवाली पर साफ-सफाई, सजावट, रंगोली डालने, नए कपड़े पहनने, रंग-बिरंगी लाइटिंग करने, पटाखे फोड़ने जैसी कई परंपराओं का पालन किया जाता है. इसमें सबसे अहम है मां लक्ष्‍मी की विधि-विधान से पूजा करना. दिवाली पर लक्ष्‍मी पूजा की सामग्री की पूरी लिस्‍ट बनाते समय उसमें खील-बताशे लिखना कभी न भूलें क्‍योंकि खील-बताशे के प्रसाद के बिना मां लक्ष्‍मी की पूजा अधूरी है. इसके अलावा पूजा की सामग्री में केसर, रोली, चावल, पान, सुपारी, फल, फूल, दूध, खील, बताशे, सिंदूर, सूखे, मेवे, मिठाई, दही, गंगाजल, धूप, अगरबत्ती, दीपक, रूई, कलावा नारियल और तांबे का कलश आदि उपयोग करें. मां लक्ष्‍मी की तस्‍वीर वाले सोने या चांदी के सिक्‍के खरीद कर उनकी भी पूजा करें. 


दिवाली पूजा में क्‍यों चढ़ाते हैं खील और बताशा 


खील यानी धान जो कि मूलत: धान का ही एक रूप है. खील चावल से बनती है और चावल उत्तर भारत का प्रमुख अन्न भी माना जाता है. दिवाली के समय धान की पहली फसल आने का समय होता है. इसलिए पहली फसल मां लक्ष्‍मी को चढ़ाने से वे प्रसन्‍न होकर घर को धन-धान्‍य से भर देती हैं. इसके अलावा ज्‍योतिष के अनुसार सफेद और मीठे बताशों का संबंध शुक्र ग्रह से है, जो धन और समृद्धि देने वाले ग्रह हैं. ऐसे में शुक्र ग्रह और मां लक्ष्‍मी की कृपा पाने के लिए पूजा में खील और बताशे प्रमुख तौर पर अर्पित किए जाते हैं. साथ ही इस मौसम में खील खाना सेहत के लिए भी बहुत लाभदायक होता है. 



(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)


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