Vastu Rules of Main Gate: मेहनत और सफलता के बीच काफी महीन अंतर है. यह अंतर तब बढ़ जाता है, जब घर में वास्तु दोष उत्पन्न हो जाता है. इसके पीछे की वजह कई हो सकती हैं. ऐसे में जरूरी है कि घर का वास्तु सही होना चाहिए, वरना किए गए मेहनत का फल नहीं मिल पाता. वास्तु शास्त्र में घर के दरवाजों को अहम स्थान दिया गया है. यह सही तरह और सही दिशा में बना हो तो घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और हर काम बनने लगते हैं. 


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दो पल्ले का दरवाजा


पहले दो पल्ले के ही दरवाजे होते थे, जो एक के ऊपर एक चढ़ जाते थे, जिससे मजबूती भी रहती थी और नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश नहीं होने पाता था. हालांकि, फैशन के लिहाज से अब सिंगल पल्ले बनने लगे हैं. वास्तु के हिसाब से घर के मुख्य दरवाजे की सीध में सारे दरवाजे नहीं होने चाहिए.


एक सीध में न हों सभी दरवाजे


घर के सभी दरवाजे एक सीध में होते हैं तो घर की पॉजिटिव एनर्जी बाहर जाने लगती है. उत्तर दिशा फेसिंग वाला घर है तो नॉर्थ से ऊर्जा आती तो है, इन दरवाजों के कारण निकल भी जाती है. ऐसे में बीच का कोई डोर बंद रखना चाहिए.


कुंडी


दरवाजों में बीच की कुंडी भी होनी चाहिए, भले ही ऊपर नीचे हों. कोई दरवाजा दक्षिण पश्चिम दिशा में है और वहां से धूप रोशनी हवा आती है तो भी उसे बंद ही रखें, क्योंकि वहां से आने वाली हवा रोग लेकर लाती है.


वंदनवार


मुख्य द्वार पर आम के पत्तों का वंदनवार लगाएं और उसे हर हफ्ते बदलें. यदि ऐसा करना संभव नहीं है तो कोई खूबसूरत आर्टिफिशियल वंदनवार लगाएं. दरवाजे का रंग हमेशा गहरा होना चाहिए. वहां पर ओम या स्वास्तिक का चिह्न लगाना भी शुभ माना जाता है.


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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)