अघोरी बाबा: हिंदू धर्म में साधु-संतों का बड़ा महत्‍व है और इनके कई रूप हैं. कई साधु-संत बेहद सौम्‍य स्‍वभाव वाले होते हैं तो कुछ को लेकर लोगों के मन में डर और रहस्‍य दोनों का भाव रहता है. ये बात अघोरी संप्रदाय के साधुओं को लेकर है. साधु-संतों की यह बिरादरी बेहद अलग है. अघोरी बाबाओं का भगवान की भक्ति करने का तरीका बहुत अलग है. राख से लिपटे, लंबी जटाओं वाले इन अघोरी बाबाओं का रूप जितना निराला होता है, उससे ज्‍यादा निराली उनकी जिंदगी होती है. आइए जानते हैं अघोरी बाबाओं के जीवन से जुड़ी कुछ रहस्‍यमयी बातें. 


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शिव की उपासना करते हैं अघोरी


अघोरी बाबा भगवान शिव के उपासक होते हैं और हमेशा उनकी ही भक्ति में लीन रहते हैं. शिवजी की तरह श्‍मशान की राख अपने शरीर पर लपेटेते हैं. जटाएं रखते हैं, रुद्राक्ष धारण करते हैं और दुनिया से दूर अपनी साधना में मस्‍त रहते हैं. वे कुंभ, महाकुंभ, माघ मेले जैसे खास मौकों पर ही पवित्र नदियों में स्‍नान करने के लिए दुनिया के सामने आते हैं. 


इंसान का कच्‍चा मांस खाते हैं अघोरी! 


अघोरियों के बारे में कहा जाता है कि वे इंसानों का कच्चा मांस खाते हैं. दरअसल, ज्‍यादातर अघोरी श्‍मशान घाट में रहते हैं. वे अधजली लाशों का मांस खाते हैं. शवों का कई तरह से उपयोग करते हैं और मानते हैं कि इससे उनकी तंत्र शक्ति प्रबल होती है. जबकि यह बातें सोचकर भी आम आदमी की रूह कांप जाती है. 


शव के साथ बनाते हैं शारीरिक सम्बन्ध


अघोरियों को लेकर कहा जाता है कि शवों के साथ संबंध बनाते हैं. इसके पीछे अघोरी बाबाओं का तर्क है कि यह भी उनकी शिव साधना का एक तरीका है. वे मानते हैं कि यदि शव के साथ शारीरिक संबंध बनाने के दौरान भी वे शिव उपासना कर सकते हैं तो यह उनकी साधना का बहुत ऊंचा स्‍तर है. इतना ही नहीं यह भी कहा जाता है कि अघोरी बाबा अन्‍य साधु-संतों की तरह ब्रम्‍हचर्य का पालन नहीं करते हैं बल्कि महिलाओं के साथ उनके मासिक चक्र के दौरान संबंध बनाते हैं. उनका मानना है कि इससे उनकी अघोर विद्या को बल मिलता है और उनकी शक्ति बढ़ती है. इसके अलावा एक और चीज है कि अघोरियों को कुत्‍तों से बेहद प्रेम होता है, वे अपने साथ कुत्‍ता रखना बहुत पसंद करते हैं. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)


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