Car AC 1, 2, 3 या 4... कितने पर रखें? क्या इससे माइलेज पर पड़ता है फर्क? जानें
Car AC Tips: बहुत से लोग जब पहली बार कार खरीदते हैं तो उन्हें कार के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती है. ऐसे में वह बहुत सी बातों को लेकर कंफ्यूज हो जाते हैं. इन्हीं में से एक बात यह है कि कार एसी फैन की स्पीड को कितने पर रखें.
Car AC Facts: भारत के ज्यादातर हिस्सों में ज्यादातर समय के लिए गर्म मौसम रहता है. ऐसे में बिना एसी (AC) के कर चलाना मुश्किल है. कारों में मैनुअल और ऑटोमेटिक एसी का ऑप्शन आता है. कुछ कारें मैनुअल एसी के साथ आती हैं जबकि कुछ कारें ऑटोमेटिक मैनुअल के साथ आती हैं. मैनुअल एसी वाली ज्यादातर कारों में आप देखें कि एसी वेंट्स से आने वाली हवा को कंट्रोल करने के लिए गोल कंट्रोलर (जैसा ऊपर तस्वीर में है) दिया गया होता है, जिसे घुमाने पर एसी की हवा का फ्लो कम या ज्यादा होता है. इसमें आमतौर पर चार लेवल- 1, 2, 3 और 4 होते हैं.
कंफ्यूज रहते हैं लोग!
अब कुछ लोग कंफ्यूज हो जाते हैं कि आखिर इसे कितने पर सेट करके रखें. एक लेवल पर सेट करें, दो लेवल पर सेट करें, तीन लेवल पर सेट करें या फिर चार लेवल पर सेट करें. चलिए, इसके बारे में बताते हैं. अगर टेक्निकली देखें तो कर एसी और केबिन में जो हवा आती है, वह दो अलग-अलग चीजें हैं. केबिन में जो हवा आती है, वह एक मोटर फैन के जरिए आती है, जो एसी से अलग होता है. अगर आप कार एसी को बंद कर देंगे तब भी आप मोटर फैन को चला सकते हैं. लेकिन, यह ठंडी हवा नहीं बल्कि सामान्य हवा देगा.
फैन स्पीड कितने पर रखें?
इसका मतलब यह है कि आप फैन की स्पीड को 1, 2, 3 या 4, कितने पर ही रखें, यह सिर्फ मोटर फैन से आने वाली हवा को ही कंट्रोल करेगा. एसी कॉलिंग को यह कंट्रोल नहीं करता है. यानी, इसके किसी भी नंबर पर सेट होने या ना होने से कार के माइलेज पर फर्क नहीं पड़ता है.
इससे पड़ेगा माइलेज पर फर्क
कार के माइलेज पर फर्क एसी के सेट किए हुए टेंपरेचर से पड़ता है. अगर आप कार में लो टेंपरेचर सेट करेंगे तो एसी को ज्यादा पावर की जरूरत होगी, जिसके लिए इंजन पर ज्यादा दबाव पड़ेगा और ज्यादा फ्यूल खर्च होगा. वहीं, कम टेंपरेचर सेट करेंगे तो इंजन पर कम दबाव पड़ेगा. इससे कार का माइलेज प्रभावित होता है.
कार एसी फैन स्पीड
आमतौर पर सलाह दी जाती है कि कार एसी फैन (ब्लोअर फैन) को दो नंबर पर सेट करके रखना चाहिए. ऐसा इसलिए है क्योंकि दो नंबर पर फैन की स्पीड ना ही बहुत ज्यादा तेज होती है और ना ही बहुत ज्यादा कम होती है. ऐसे में कार के अंदर बेहतर कूलिंग मिल पाती है.