What Is The Secret Behind It: अगर आप भी उन लोगों में से एक हैं जिन्होंने कभी इस बात पर गौर नहीं किया कि टायर का रंग हमेशा काला (Black Tyres) ही क्यों होता है, तो आपको ये खबर जरूर पढ़नी चाहिए. आपको जानकर हैरानी होगी कि लगभग 125 साल पहले टायर्स अपने असल रंग यानी सफेद (White) रंग में बनाए जाते थे. 


टायर बनाने वाली रबड़ का रंग होता है मिल्की व्हाइट


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जिस रबड़ (Rubber) का इस्तेमाल टायर बनाने के लिए होता है, उसका रंग मिल्की व्हाइट होता है. लेकिन ये पदार्थ इतना मजबूत नहीं होता कि एक ऑटोमोबाइल के भार को झेल सके और रोड्स पर बेहतर प्रदर्शन कर सके. इसलिए इस मिल्की व्हाइट रबड़ में कुछ और मजबूत पदार्थों (Strong Substances) को ऐड किया जाता है. 


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किन चीजों का किया जाता है इस्तेमाल?


इस मिल्की व्हाइट रबड़ (Milky White Rubber) को मजबूत बनाने के लिए इसमें ब्लैक कार्बन (Black Carbon) को ऐड किया जाता है, जिससे टायर का रंग बिल्कुल काला हो जाता है. कार्बन को ऐड करने से टायर की मजबूती और जीवन दोनों में बढ़ोतरी होती है. आपको बता दें कि कार्बन में ऑटोमोबाइल के पार्ट्स के अंदर से गर्माहट दूर करने की क्षमता होती है. इसी कारण से जब भी सड़कें गर्म होती हैं तो टायर्स मेल्ट (Melt) नहीं होते हैं. 


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कार्बन के होते हैं कई फायदे


इसके अलावा कार्बन ब्लैक सब्सटांस (Carbon Black Substance) टायर्स को ओजोन और यूवी रेडिएशन के खतरनाक प्रभाव से भी सुरक्षा देता है. टायर का मजबूत होना ड्राइवर की सेफ्टी (Safety) के लिए भी बहुत जरूरी होता है. इसलिए टायर को चुनते समय उनकी मजबूती, विश्वसनीयता और जीवनकाल की जांच-परख कर लेनी चाहिए. 


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