Drowsiness Alert System for Cars: रात के समय कार चलाते समय अक्सर नींद आने की समस्या रहती है. झपकी आने के कारण ही क्रिकेटर ऋषभ पंत की मर्सिडीज का एक्सीडेंट हुआ और वह बुरी तरह घायल हो गए. इस तरह के हादसे अब और न हों, इसके लिए सरकार जल्द ही कारों में एक नए सिस्टम को अनिवार्य कर सकती है. रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार जल्द ही ड्राउज़ीनस अलर्ट सिस्टम (Drowsiness Alert System) को अनिवार्य करने जा रही है. TOI ने सूत्रों के हवाले से इस बात का दावा किया है. 


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ऐसे करता है काम
यह सिस्टम कारों, बसों और ट्रकों में इंस्टॉल किया जाता है, और ड्राइवर को वाहन चलाने के दौरान नींद आने पर ऑडियो अलर्ट देता है. फिलहाल इस सिस्टम का इस्तेमाल कई देश अपनी कारों में कर रहे हैं. यह सिस्टम कई तरह से नींद का पता लगाता है. जहां कुछ सिस्टम स्टीयरिंग पैटर्न की निगरानी करके इसका पता लगाती हैं, वहीं कुछ लेन में वाहन की पॉजिशन, और चालक की आंख व चेहरे की निगरानी करते हैं.


TOI ने दावा किया कि एक एक्सपर्ट कमेटी ने उड्राउज़ीनस अलर्ट सिस्टम के लिए ऑटोमोटिव इंडस्ट्री स्टैंडर्ड (AIS) का मसौदा तैयार किया है और इसे जल्द ही फीडबैक के लिए पब्लिक डोमेन में रखा जाएगा. सूत्रों ने कहा कि इस प्रावधान को लागू करने और वाहनों में अलर्ट सिस्टम लगाने को अनिवार्य बनाने के बारे में उचित समय पर विचार किया जाएगा. 


नींद आना उस समय सबसे ज्यादा खतरनाक हो जाता है, जब व्हीकल तेज स्पीड पर चल रहा हो. ऐसे में ड्राइवर को इतना समय नहीं मिल पाता कि वह प्रतिक्रिया करें और ब्रेक का इस्तेमाल कर पाएं. 


सबसे ज्यादा नींद आने का समय
2018 में 15 राज्यों में ड्राइवरों के सड़क परिवहन मंत्रालय द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया था कि सर्वेक्षण में शामिल 25% ड्राइवरों ने वाहन चलाते समय सो जाने की बात स्वीकार की थी. ग्लोबल स्टडी से पता चला है कि हाईवे और ग्रामीण सड़कों पर चालकों के सो जाने की संभावना ज्यादा होती है, और आधी रात से सुबह 6 बजे के बीच ऐसा और भी अधिक होता है.


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