नई दिल्लीः भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का क्रेज बढ़ता जा रहा है और इसकी कीमत, चार्जिंग की व्यवस्था और रेन्ज के अलावा कई और बातें भी हैं जो चिंता की बात हैं. इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी से चलते हैं और इनमें इंजन नहीं लगा होता, ऐसे में ये किसी तरह का कोई प्रदूषण नहीं फैलाते. साफ है कि ये पर्यावरण के लिए बहुत फायदेमंद हैं और यही वजह है कि इन्हें अपनाया जाना अनिवार्य सा हो गया है. लेकिन जैसा हमने बताया इसमें कोई इंजन लगा नहीं होता, तो ये नाम मात्र की आवाज करते. ऐसे में सिर्फ भारत की नहीं दुनियाभर में ये एक मुद्दा बना हुआ है और इस पर कई सारे देश काम कर रहे हैं.


मामला यहां सुरक्षा का है


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दरअसल मामला यहां सुरक्षा का है, भारत में जैसे-जैसे इलेक्ट्रिक वाहन बढ़ रहे हैं ये चिंता भी बढ़ती जा रही है. रिपोर्ट्स की मानें तो सुरक्षा कारणों से केंद्र सरकार इस पर फैसला लेने का मन बना रही है. भारत सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों में आर्टिफिशिल साउंड यानी नकली साउंड देने पर विचार कर रही है ताकि सड़क पर चल रहे बाकी वाहनों के लिए ये खतरा ना बनें. सूत्रों की मानें तो ये फैसला पैदल यात्रियों के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है जिन्हें इलेक्ट्रिक वाहन के आने की आवाज सुनाई दे जाएगी.


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'सड़कों के लिए सुरक्षित ईवी'


मिनिस्ट्री ऑफ हेवी इंडस्ट्रीज ने संबंधित विभाग से इसका समाधान निकालने की बात कही है. अगर ईवी में नकली आवाज मुहैया कराने की बात पर रजामंदी बनती है जो केंद्रा सरकार 'सड़कों के लिए सुरक्षित ईवी' का नियम ला सकती है. इस नियम के अंतर्गत सभी इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ अर्टिफिशियल साउंड देना अनिवार्य कर दिया जाएगा. नकली साउंड बनाने के लिए संभावित रूप से ईवी के साथ एक डिवाइस दी जाएगी जिसका नाम अकॉस्टिक व्हीकल अलर्ट सिस्टम हो सकता है. ये प्रोसेस कई देशों में पहले से इस्तेमाल की जा रही है और भारत में जल्द ही इसपर कानून लाया जा सकता है.