नई दिल्लीः भारत की सबसे बड़ी टू-व्हीलर निर्माता हीरो मोटोकॉर्प ने बहुत जल्द अपनी सभी मोटरसाइकिल और स्कूटर्स की कीमतों में इजाफे का ऐलान कर दिया है. कंपनी 4 जनवरी 2022 से दो-पहिया वाहनों के दाम 2,000 रुपये तक बढ़ाने वाली है जो मॉडल और बाजार के हिसाब से अलग-अलग होगी. हीरो मोटोकॉर्प ने भी बाकी सभी कंपनियों की तर्ज पर कच्चे माल और बाकी लागत मूल्य में बढ़ोतरी के चलते कीमतों में इजाफा करने को कंपनी की मजबूरी बताया है. प्रेस रिलीज में कंपनी ने दावा किया है कि कमोडिटी प्राइस में लगातार होने वाली बढ़ोतरी इस इजाफे की मुख्य वजह है.


पिछले 6 महीने में तीसरी बार बढ़ाई कीमतें


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बता दें कि पिछले 6 महीनों में हीरो मोटोकॉर्प द्वारा अपनी टू-व्हीलर्स की कीमतों में बढ़ोतरी का ये तीसरा ऐलान है. पिछली बार कंपनी ने सभी मोटरसाइकिल और स्कूटर्स की कीमतों में 3,000 रुपये का इजाफा 1 जुलाई 2021 को किया था, वहीं दूसरी बार 30 सितंबर को दूसरी बार सभी दो-पहिया वाहनों की कीमतें बढ़ाई गईं और तब भी ये राशि 3,000 रुपये थी. कीमतों में पिछली दोनों बढ़त की वजह भी कंपनी ने बढ़ता लागत मूल्य ही बताई थी. हीरो के अलावा भारतीय बाजार में कावासाकी और डुकाटी भी नए साल में कीमतें बढ़ाने का ऐलान कर चुकी हैं.


नए साल में दाम बढ़ाना बन गया है ट्रेंड


इन कंपनियों के अलावा मारुति सुजुकी, टाटा मोटर्स, टोयोटा, फोक्सवैगन, स्कोडा, सिट्रॉएन, होंडा कार्स इंडिया, रेनॉ, महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसी अन्य वाहन निर्माता कंपनियों ने भी जनवरी 2022 से अपने वाहनों की कीमतों में इजाफे की घोषणा कर दी है. ये भी बता दें कि नया साल आते ही अपने वाहनों की कीमतों में इजाफे को सभी कंपनियों ने एक ट्रेंड बना लिया है और सभी निर्मातायां सिर्फ लागत मूल्य में बढ़ोतरी का हवाला देकर पिछले कई सालों से नए साल में अपने वाहनों की कीमतें बढ़ा देती हैं. इसके अलावा कोविड-19 महामारी के चलते हुए नुकसान को देखते हुए भी कंपनियां संभवतः ये फैसला ले रही हैं.


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कच्चे माल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी


कंपनियों द्वारा चार-पहिया और दो-पहिया वाहनों के दाम बढ़ाने की ये वजह सच भी है क्योंकि पिछले कुछ सालों से लगातार कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी के अलावा कई तरह के प्रभाव वाहन निर्माण की लागत पर पड़े हैं. लेकिन ये भी सही नहीं है कि हर बार कीमतों में इफाजे की एक हिस्सा कंपनियां ग्राहकों के पाले में डाल रही हैं, हालांकि इजाफे का ज्यादातर हिस्सा कंपनियां खुद ही वहन करती हैं क्योंकि ये खुद नहीं चाहतीं कि इस इजाफे की वजह से ग्राहकों की खरीद की भावना पर कोई भी नेगेटिव इंपैक्ट हो.