Private Jet Buying: प्राइवेट जेट खरीदने के बाद भी उसके फ्यूल और मेंटेनेंस का खर्चा कौन उठाता है, यह सवाल काफी सारे लोगों के मन में रहता है. दरसअल यह बात उस जेट के ओनरशिप मॉडल पर निर्भर करता है. यहां कुछ सामान्य ओनरशिप मॉडल दिए गए हैं जिनमें फ्यूल और मेंटेनेंस की जिम्मेदारियों को बांटा जाता है:


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फ्रैक्शनल ओनरशिप (Fractional Ownership): इस मॉडल में एक जेट के कई मालिक होते हैं, जो उसे मिलकर खरीदते हैं और उसका उपयोग करते हैं. इसमें रखरखाव, फ्यूल और ऑपरेटिंग खर्चों का बोझ मालिकों के बीच बांटा जाता है. Fractional Ownership में अक्सर एक मैनेजमेंट कंपनी होती है, जो सभी ऑपरेशन और रखरखाव का ध्यान रखती है. कंपनी इन सेवाओं के बदले शुल्क लेती है.


जेट कार्ड प्रोग्राम (Jet Card Program): इस मॉडल में आप जेट खरीदते नहीं हैं, बल्कि पहले से तय घंटों के हिसाब से उड़ानों के लिए भुगतान करते हैं. इसमें फ्यूल, रखरखाव और अन्य ऑपरेटिंग खर्च मैनेजमेंट कंपनी द्वारा कवर किए जाते हैं, और आपको केवल उपयोग के आधार पर भुगतान करना होता है.


फुल ओनरशिप (Full Ownership): अगर कोई व्यक्ति या कंपनी जेट की कम्प्लीट ओनरशिप रखता है, तो सामान्य रूप से सभी खर्चों का जिम्मा उसी के ऊपर होता है, जिसमें फ्यूल, रखरखाव, हैंगर शुल्क, क्रू की सैलरी आदि शामिल होते हैं. हालांकि, कुछ ओनर अपनी जेट्स को चार्टर कंपनियों के माध्यम से किराए पर देकर कुछ खर्चों की भरपाई कर सकते हैं.


एयरक्राफ्ट मैनेजमेंट कंपनी का उपयोग: यदि एक व्यक्ति या कंपनी अपने जेट की पूर्ण मालिक है, तो वे अक्सर एक एयरक्राफ्ट मैनेजमेंट कंपनी को हायर करते हैं जो सभी रखरखाव, फ्यूल और ऑपरेशन का ध्यान रखती है. इस मामले में, जेट मालिक एक निश्चित शुल्क का भुगतान करता है, और प्रबंधन कंपनी सभी खर्चों को संभालती है.


इन मॉडलों में से सबसे लोकप्रिय विकल्प Fractional Ownership और Jet Card Programs होते हैं, क्योंकि इनसे जेट की सुविधाओं का लाभ उठाने के साथ-साथ रखरखाव और ऑपरेटिंग खर्चों की चिंता कम हो जाती है.