Lord Ganesh Vivah Katha: सनातन धर्म में भगवान गणेश का महत्व अद्वितीय है. किसी भी शुभ अवसर पर या शुभ कार्य में सबसे पहले गणेश जी का आवाहन, पूजन अर्चन किया जाता है. क्योंकि वे विघ्नों के नाशक हैं. गणेश उत्सव में भी उनकी विशेष पूजा आयोजित होती है और इस अवसर पर लोग अपने घर में गणपति बप्पा की मूर्ति स्थापित करके पूजा करते हैं. देश भर में गणेश चतुर्थी मनाया जा रहा है, 28 सितंबर को चतुर्दशी के दिन गणपति का विसर्जन होगा. आइए जानते हैं, बप्पा की दो विवाह का रहस्य..


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तुलसी जी का श्राप
भगवान गणेश की जीवन में एक ऐसी घटना हुई, जिसके चलते उन्हें दो विवाह करने पड़े. धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, गणपति बप्पा ने ब्रह्मचार्य की प्रतिज्ञा ली थी. एक दिन जब वह तपस्या में लीन थे, तुलसी जी ने उन्हें देखा और उन पर मोहित हो गई. तुलसी जी ने भगवान गणेश से विवाह की प्रस्ताविता रखी, लेकिन गणेशजी ने अपनी ब्रह्मचार्य प्रतिज्ञा का पालन करते हुए प्रस्ताव ठुकरा दिया. इस पर तुलसी जी ने उन्हें श्राप दिया कि वे दो विवाह करेंगे. 


रिद्धि और सिद्धि
इसके अलावा, देवताओं में भी एक समस्या थी क्योंकि जब भी वे कोई महत्वपूर्ण कार्य करते, भगवान गणेश उसमें बाधा डालते. इससे परेशान होकर, देवताओं ने ब्रह्मा जी से सहायता मांगी. ब्रह्मा जी ने फिर रिद्धि और सिद्धि नामक दो कन्याओं को जन्म दिया और उन्हें भगवान गणेश के पास भेजा ताकि वह उन्हें शिक्षा दे सकें. जब गणेशजी को पता चला कि रिद्धि और सिद्धि के कारण देवताओं के कार्य समर्थन में हो रहे हैं, तो वह थोड़ा असंतुष्ट हुए. फिर ब्रह्मा जी ने उन्हें समझाया कि ये कन्याएं उनके जीवन में आई हैं ताकि वह श्राप से मुक्त हो सकें. भगवान गणेश ने ब्रह्मा जी की सलाह मानी और रिद्धि और सिद्धि से विवाह किया. इसी तरह से, गणेशजी की दो पत्नियों की कथा को प्रस्तुत किया गया है.


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)