Mythology Story Of Natraj Idol: हिंदू धर्म और शास्त्रों के अनुसार सबसे महत्वपूर्ण और शक्तिशाली भगवान शिव को माना गया है. भगवान शिव के विभिन्न रुपों और उनके लीलाओं का वर्णन शिव पुराण और स्कंद पुराण में देखने को मिलता है. भगवान शिव का भोलेनाथ रुप जितना सरल और कोमल है. उतना ही उनका रूद्र रुप उतना ही रौद्र है. भगवान शिव को उनके भक्त उनको अलग-अलग नामों से पुकारते हैं. भगवान शिव के आनंदमयी तांडव के रुप को नटराज कहा जाता है. भगवान शिव का नटराज रुप निर्माण और विनाश दोनों का ही प्रतीक है. आज हम आपको नटराज की पौराणिक कथा बताएंगे और उनके पैरों के नीचे कौन है इसकी भी जानकारी देंगे.


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स्कंद पुराण की कथा 


स्कंद पुराण के अनुसार, वानप्रस्थ में तपस्वी साधु को अपने तप का घमंड हो गया था. जिसके  कारण उन्होंने सभी मनुष्यों को अपने सामने तुच्छ प्राणी समझ लिया. तपस्वी के ऐसे व्यवहार को देखकर भगवान शिव ने उनके अहंकार को तोड़ने का निश्चय किया. जिसके लिए भगवान शिव ने एक भिक्षुक का रुप धारण करके साधुओं के आश्रम पहुंचे. उन साधु को इस बात का घमंड था कि संपूर्ण सृष्टि केवल ऋषियों पर आधारित है. उन्होंने भगवान को भी कुछ नहीं समझा. लेकिन भगवान शिव ने अपने तर्क से उन सभी साधुओं की बात को गलत साबित कर दिया, जिससे वे सब क्रोधित हो गए और भगवान शिव को दंडित करने की योजना बनाई. 


यह देखकर भगवान शिव ने अनोखा रुप धारण किया और वो नृत्य मुद्रा में आए जिसे शिव का नटराज रुप कहा जाता है. भगवान शिव ने आपने इस अवतार में आने के बाद उन्होंने सांपों और राक्षसों का वध कर दिया. भगवान शिव के अवतार को देखकर सभी साधु भयभीत हो गए और उनका अहंकार टूट गया. सभी साधुओं ने भगवान शिव से क्षमा मांगी. तभी से भगवान शिव के नटराज अवतार की भी पूजा होने लगी. 


नटराज के पैरों के नीचे कौन हैं? 


भगवान शिव के नटराज अवतार का एक पैर उठा हुआ है, जो मोक्ष का प्रतीक है. इसका आशय है कि भगवान शिव के चरणों में ही मोक्ष की प्राप्ति है. नटराज शिव के पैरों के नीचे कुचला हुआ राक्षस है, जो अज्ञानता का प्रतीक है.जो यह दर्शाता है कि भगवान शिव ने उस दानव को खत्म कर दिया है. 


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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)