A Soul`s journey: मौत के बाद यमलोक तक कैसे पहुंचती है आत्मा, जानें कितने दिन लगते हैं?

Soul journey to Yamalok: गरुड़ पुराण में इस बात की जानकारी दी गई है कि व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी आत्मा के साथ क्या होता है, वो कितने दिनों में यमलोक तक पहुंचती है और इस दौरान उसे क्या-क्या झेलना होता है.

ज़ी न्यूज़ डेस्क Fri, 25 Nov 2022-10:02 pm,
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How will soul travel to Yamalok: मौत के बाद आत्मा का सफर कैसा होता है, वो कितने दिनों में यमलोक तक पहुंचती है, इसकी जानकारी गरुड़ पुराण में दी गई है. इसके मुताबिक व्यक्ति की मौत के बाद आत्मा को यमलोक तक का सफर तय करना होता है जहां उसके कर्मों का हिसाब होता है. आत्मा एक दिन में 200 योजन का सफर तय करती है और एक योजन में 8 किलोमीटर के हिसाब से वो एक दिन में 1600 किलोमीटर का सफर तय करती है. जानकारी के मुताबिक यमलोक का सफर वैतरणी नदी से अलग 86 हजार योजन का है. इस सफर में आत्मा को वैतरणी नदी के कठिन रास्ते को भी पार करना होता है, जिसे बहुत भयानक बताया गया है.

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यमलोक जाते समय आत्मा को 16 पुरियों यानी भयानक नगरों से गुजरना होता है. आत्मा को बीच-बीच में रुकने का भी मौका मिलता है, इस दौरान वो अपने कर्मों और अपनों को याद करके दुखी होता रहता है.वो ये भी सोच रहा होता है कि कर्मों के आधार पर आगे उसे कैसा शरीर मिलेगा या आगे क्या होगा?

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यमलोक के रास्ते में नरक भी मिलता है जिसे अंधतम और ताम्रमय के नाम से जाना जाता है. इसमें ताम्रमय बहुत गर्म होता है, वहीं अंधतम में कीचड़ और कीड़े होते हैं. सफर के इस पड़ाव पर आत्मा को काफी दुख का सामना करना पड़ता है.

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इसके बाद आत्मा यमराज के भवन तक पहुंचती है जहां उसके पहुंचते ही द्वारपाल धर्मध्वज चित्रगुप्त को पाप में डूबे लोगों की आत्माओं की जानकरी देते हैं. बताया जाता है कि यमलोक के द्वार पर दो खूंखार कुत्ते भी पहरेदारी के लिए मौजूद रहते हैं.

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यमलोक में आत्मा की मुलाकात ब्रह्माजी के पुत्र श्रवण और उनकी पत्नी श्रवणी से होती है. ये दोनों यमलोक पहुंचने वाली आत्माओं की बातों को सुनते हैं और उनके कर्मों का हिसाब रखते हैं. इन्हीं के कहने पर यमराज आत्माओं को कर्मों के आधार पर फल देते हैं.

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यमराज आत्माओं के कर्मों का हिसाब करते समय चंद्रमा, सूर्य, दिन-रात, मन, जल और आकाश से भी गवाही लेते हैं, क्योंकि इन्हें सभी के कर्मों का पता होता है. अपने कर्मों की सजा भुगतने के बाद आत्मा को बचे हुए पाप-पुण्य को भोगने के लिए फिर से जन्म लेना होता है.

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