Hindenburg on SEBI Chairperson: अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्गं ने हाल ही में चौंकाने वाले खुलासे करते हुए मार्केट रेगुलेटर SEBI की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच पर कई गंभीर आरोप लगाए. हिंडनबर्ग के खुलासे के बाद से सेबी चीफ माधवी बुच के इस्तीफे को लेकर मांग तेज हो गई है. आज कांग्रेस ने इसे लेकर प्रदर्शन भी किया है वहीं अब सेबी की निगरानी की भी मांग उठने लगी है. 


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सेबी चीफ पर उठे सवाल  


हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में जिस तरह के सवाल सेबी चीफ माधवी पुरी बुच को लेकर उठे, जिस तरह माधवी बुच पर अपने निजी फायदे के लिए अडानी की कंपनियों को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया गया. उसके बाद से ही उनके खिलाफ अब जांच की मांग और तेज़ हो गई है. कांग्रेस ने भी आज इसको लेकर प्रदर्शन किया और माधवी बुच के इस्तीफे की मांग की है. कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने कहा कि सेबी चीफ को इस्तीफा देना चाहिए.  


माधबी बुच के खिलाफ JPC की मांग


माधवी बुच के खिलाफ JPC जांच की मांग की जा रही है जिससे सारा सच सामने आ सके.वहीं हिंडनबर्ग के इस खुलासे के बाद सेबी को लेकर कई गंभीर सवाल है. सवाल बाजार नियामक सेबी की विश्वनीयता पर उठा है, उसके कामकाज पर सवाल उठे हैं. इस मामले के बाद अब मांग उठने लगी कि क्या अब वक्त आ गया है कि रेगुलेटर्स को भी रेगुलेट किया जाए.  


सेबी पर उठ रहे हैं सवाल 


हिंडनबर्ग की ओर से सेबी चीफ माधबी बुच पर लगाए गए गंभीर आरोपों के बाद से सेबी के कामकाज और उसकी विश्वनियता पर भी सवाल उठने लगा है. अब सवाल उठने  लगा है कि क्या सेबी  के पास अपनी गतिविधियों और फैसलों  के लिए पर्याप्त पारदर्शिता और जवाबदेही है? क्या सेबी अपनी कार्रवाईयों और फैसलों को सार्वजनिक रूप से स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करता है?  क्या सेबी के कामकाज की नियमित और स्वतंत्र निगरानी होती है? क्या सेबी गतिविधियों की स्वतंत्र ऑडिटिंग की जाती है, और क्या इस प्रक्रिया में कोई सुधार की आवश्यकता है? क्या सेबी के पास व्हिसल ब्लोअर सुरक्षा का एक मजबूत तंत्र है ? इसके साथ ही सवाल उठ रहे हैं कि क्या सेबी अपनी विफलताओं और आलोचनाओं के बाद कितनी तत्परता से सुधारात्मक कदम उठाता है? क्या सेबी ने पहले की गड़बड़ियों के बाद आवश्यक कदम उठाए हैं. 
 
सेबी की निगरानी प्रणाली पर सवाल 


ये सवाल इसलिए भी उठे हैं क्योंकि अब मांग उठ रही है कि सेबी की निगरानी प्रणाली, पारदर्शिता, और जवाबदेही की समीक्षा की जाए , ताकि भविष्य में बेहतर निगरानी होने में मदद मिल सके. ये इसलिए भी औऱ ज़रूरी हो गया है क्योंकि  स्टॉक मार्केट के नियामक कानूनों को लागू करने, नियम बनाने, और बाजार की गतिविधियों की निगरानी करने के लिए जिम्मेदार होते हैं, ताकि व्यापार निष्पक्ष रहे। वो ब्रोकरेज फर्मों, स्टॉक एक्सचेंजों, और अन्य वित्तीय संस्थानों की गतिविधियों पर भी नज़र रखते हैं . लेकिन अगर उसमें कोई भी गड़बड़ी हुई तो उससे बाज़ार बुरी तरह प्रभावित हो सकते हैं और ये भारत के विकसित देश बनने की राह में एक बड़ा रोड़ा होगा. 


सेबी के लिए बने रेगुलेशन कमेटी


हिंडनबर्ग रिपोर्ट में माधवी बुच का नाम सामने आने के बाद से इसकी जांच होने की बात हो रही थी और अब देश के कई बड़े फाइनेंशियल एक्सपर्ट का मानना है कि सेबी के कामकाज को देखने के लिए भी एक रेगुलेशन कमेटी बनाई जाए.