Anil Ambani Reliance Capital: कर्ज के जंजाल में फंसकर दिवालिया हो चुकी अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कैपिटल (Reliance Capital) को बचाने की कोशिशों पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. इस डील को लेकर एक के बाद एक मुश्किलें आ रही है. कभी डेडलाइन बढ़ाने को लेकर मामला अटका तो अब कर्जदाताओं ने हिंदुजा समूह की कंपनी आईआईएचएल (IIHL) पर आरोप लगाए हैं. इस डील को लेकर एक के बाद परेशानियां आ रही है, उतनी ही इस डील में देरी हो रही है.  


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क्या है अनिल अंबानी की कंपनी का मसला  


अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कैपिटल रेजोल्यूशन के दौर से गुजर रही है. हिंदुजा समूह की आईआईएचएल ने नीलामी प्रक्रिया में सबसे बड़ी 9861 करोड़ रुपये की बोली लगाई. इस डील को लेकर कई बार मुश्किलें आई है.  अब रिलायंस कैपिटल के कर्जदाताओं ने आरोप लगाया है कि हिंदुजा समूह की कंपनी IIHLजानबूझकर देरी कर रही है. इसके चलते रिलायंस कैपिटल को बचाने के लिए रेजोल्यूशन प्लान मुश्किल में फंस रहा है. कर्जदाताओं ने आरोप लगाया है कि आईआईएचएल देरी करने की रणनीति अपना रही है. 


बता दें कि मॉरीशस स्थित इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स लिमिटेड (आईआईएचएल) रिलायंस कैपिटल के अधिग्रहण के लिए सबसे बड़ी बोली लगाई.  एनसीएलटी की मुंबई पीठ ने 27 फरवरी, 2024 को रिलायंस कैपिटल के लिए आईआईएचएल की 9,861 करोड़ रुपये की समाधान योजना को मंजूरी दे दी थी, इस डील को आरबीआई से भी मंजूरी मिल गई, सभी जरूरी रजामंदी मिलने के बावजूद तक ये डील अटकी हुई है. आईआईएचएल फंड के इंतजाम में जुटी है. बैंकों ने उसे सस्ती दरों पर कर्ज देने से इनकार कर दिया तो कंपनी ने बॉन्ड के जरिए डील की रकम चुकाने की बात कही, लेकिन फिलहाल वो फंड इकट्ठा नहीं कर पाई है. 


आईआईएचएल ने डीआईपीपी से मांगी मंजूरी 
 
बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स लिमिटेड (IIHL)ने डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी एंड प्रमोशन (DIPP) से मंजूरी मांगी है. इसके लिए एनसीएलटी की ओर से कोई शर्त भी नहीं रखी गई थी. हालांकि 90 दिन बीत जाने के बाद भी उसका प्रस्ताव अटका हुआ है. उसे अभी तक मंजूरी नहीं मिली है.  इससे पहले 12 अगस्त को एनसीएलटी ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) और डीआईपीपी को निर्देश दिया था कि वह रिलायंस कैपिटल के रेजोल्यूशन प्लान को जल्द से जल्द मंजूरी दे दें. इस मामले में अगली सुनवाई 19 सितंबर को होगी.  


क्या कहा हिंदुजा समूह ने  


इस पूरे मामले पर हिंदुजा समूह की कंपनी ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि वह उचित प्रक्रिया का पालन कर रही है. आईआईएचएल के सूत्रों ने कहा कि सभी आरोप पूरी तरह से झूठे, निराधार हैं और ये समाधान प्रक्रिया को बदनाम और बाधित करने की कोशिश है. कंपनी के सूत्रों ने कहा कि सभी आरोप गलत और झूठे हैं. आईआईएचएल के लिए योजना के कार्यान्वयन में देरी करने का कोई कारण नहीं है, खासकर तब, जबकि आईआईएचएल ने पहले ही सीओसी के पास 2,750 करोड़ रुपये जमा कर दिए हैं. उन्होंने कहा कि आरोपों के विपरीत, यह आईआईएचएल के हित में है कि वह जल्द से जल्द समाधान योजना को पूरा कर कंपनी को अपने कब्जे में ले, ताकि दैनिक आधार पर मूल्य में हो रही कमी को रोका जा सके. 


डीआईपीपी की मंजूरी इसलिए जरूरी है, क्योंकि आईआईएचएल के कुछ शेयरधारक हांगकांग के निवासी हैं, जो चीन नियंत्रित एक विशेष प्रशासनिक क्षेत्र है. प्रेस नोट तीन के अनुसार यदि भारत के साथ भूमि सीमा साझा करने वाले किसी देश (चीन, बांग्लादेश, पाकिस्तान, भूटान, नेपाल, म्यांमार और अफगानिस्तान) की कोई इकाई, नागरिक या स्थायी निवासी भारत में निवेश करता है, तो उसे सरकार से इसके लिए मंजूरी लेनी होगी.