कल्पना कीजिए, एक दिल जो दो घंटे तक पूरी तरह से बंद रहा- न कोई धड़कन, न कोई हलचल. मेडिकल साइंस के लिए इसे लगभग असंभव माना जाता है कि इतनी देर तक रुकी हुई धड़कनों को फिर से चालू किया जा सके. लेकिन AIIMS के डॉक्टरों ने इस नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया.
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भुवनेश्वर स्थित एम्स (AIIMS) में एक चमत्कारी घटना ने मेडिकल की दुनिया को हैरान कर दिया. AIIMS भुवनेश्वर में डॉक्टरों ने 24 वर्षीय आर्मी जवान की जान बचाने में सफलता पाई, जिसका दिल करीब 120 मिनट तक बंद रहा. डॉक्टरों ने अत्याधुनिक एक्स्ट्राकॉर्पोरियल कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (eCPR) तकनीक का इस्तेमाल कर उसे नया जीवन दिया.
दरअसल, बीते 1 अक्टूबर को दिल की गंभीर समस्या के कारण जवान को AIIMS भुवनेश्वर में भर्ती कराया गया. अस्पताल पहुंचने के बाद ही उसे दिल का दौरा पड़ा और उसकी हालत बिगड़ गई. डॉक्टरों ने तुरंत 40 मिनट तक पारंपरिक CPR किया, लेकिन कोई असर नहीं हुआ. इस स्थिति में डॉक्टरों के पास दो ही विकल्प थे - मौत की घोषणा करना या eCPR तकनीक अपनाना. डॉक्टरों ने दूसरे विकल्प को चुना और मरीज को बचाने की पूरी कोशिश की.
क्या है eCPR तकनीक?
eCPR (Extracorporeal Cardiopulmonary Resuscitation) पारंपरिक CPR और Extracorporeal Membrane Oxygenation (ECMO) तकनीक का कॉम्बिनेशन है. इस प्रक्रिया में मरीज के खून को मशीन के जरिए ऑक्सीजन पहुंचाई जाती है और पंप करके वापस शरीर में भेजा जाता है. यह तकनीक दिल और फेफड़ों को आराम देने का समय देती है ताकि वे खुद को ठीक कर सकें.
MIRACLE OF MEDICINE!
In a groundbreaking first for Odisha, the team @AIIMSBhubaneswr has achieved the miraculous. A 24-year-old man was brought back to life through the cutting-edge #eCPR procedure after his heart stopped for 120 minutes.@MoHFW_INDIA @JPNadda @HFWOdisha pic.twitter.com/XX54aL7JsP— AIIMS Bhubaneswar (@AIIMSBhubaneswr) November 18, 2024
कैसे हुआ इलाज?
डॉ. श्रीकांत बेहेरा की अगुवाई में विशेषज्ञों की टीम ने घटना के 80 मिनट बाद ECMO प्रक्रिया शुरू की. करीब 40 मिनट की मेहनत के बाद मरीज का दिल धीरे-धीरे धड़कने लगा. अगले 30 घंटों में उसकी दिल की स्थिति में सुधार हुआ और 96 घंटों के भीतर उसे ECMO से हटा दिया गया.
विशेषज्ञों की राय
डॉ. बेहेरा ने बताया कि eCPR तकनीक चुनौतीपूर्ण है लेकिन यह उन मामलों में भी जीवन बचा सकती है, जिन्हें पहले असंभव समझा जाता था. यह सफलता ओडिशा की चिकित्सा के इतिहास में एक मील का पत्थर है. इस उपलब्धि ने न केवल मेडिकल साइंस की नई संभावनाएं उजागर की हैं बल्कि साबित किया है कि तकनीक और समर्पण से असंभव को संभव बनाया जा सकता है.
(इनपुट- न्यूज़ एजेंसी ANI)