महंगे लोन के लिए रहे तैयार, अगले साल भी कम नहीं होंगी ब्याज दरें; इस इकोनॉमिस्ट ने सबको चौंकाया
RBI: एक्सिस बैंक के चीफ इकोनॉमिस्ट और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के पार्ट टाइम मेंबर नीलकंठ मिश्रा ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नेतृत्व में बदलाव से नीतिगत दर के रुख पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा और संस्थागत क्षमता बहुत मजबूत है.
RBI Repo Rate: महंगाई दर में पिछले कुछ महीनों से चल रही उठापटक के बीच रेपो रेट घटाने की मांग की जा रही है. आरबीआई ने पिछले करीब दो साल से रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर ही बरकरार रखा हुआ है. लेकिन अब नए संजय मल्होत्रा के नया आरबीआई गवर्नर बनने के बाद कुछ जानकार उम्मीद जता रहे हैं कि केंद्रीय बैंक की तरफ से फरवरी में होने वाली एमपीसी (MPC) में ब्याज दर में कटौती की जा सकती है. लेकिन दूसरी तरफ से सीनियर इकोनॉमिस्ट का कहना है कि खुदरा महंगाई बढ़ने से फरवरी में होने वाली अगली मौद्रिक समीक्षा के साथ अगले वित्त वर्ष में भी नीतिगत ब्याज दर में कटौती की कोई गुंजाइश नहीं दिख रही है.
नेतृत्व में बदलाव से रेपो रेट की दर पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा
एक्सिस बैंक के चीफ इकोनॉमिस्ट और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के पार्ट टाइम मेंबर नीलकंठ मिश्रा ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नेतृत्व में बदलाव से नीतिगत दर के रुख पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा और संस्थागत क्षमता बहुत मजबूत है. उन्होंने कहा कि महंगाई पर आरबीआई के नजरिये की वजह से ‘अगले 13-14 महीनों’ तक ब्याज दर में कटौती कर पाना संभव नहीं होगा. उन्होंने वित्त वर्ष 2025-26 में औसत मुद्रास्फीति 4.5 प्रतिशत रहने की संभावना जताई.
महंगाई दर 4.5-5 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान
मिश्रा ने कहा कि अगले फाइनेंशियल ईयर की तीसरी तिमाही को छोड़कर प्रमुख महंगाई दर 4.5-5 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान है. ऐसी स्थिति में रेपो रेट में कटौती के लिए आरबीआई के पास बहुत कम गुंजाइश बचेगी. उन्होंने कहा कि अगर आरबीआई वृद्धि को तेज करने के लिए अपनी प्रमुख दर में 0.50 प्रतिशत की भी कटौती करता है तो यह वृद्धि में मदद के लिए ‘निर्णायक’ कदम नहीं होगा. उन्होंने कहा, ‘जब आप दरों में कटौती का कदम बढ़ाते हैं तो यह फैसला होना चाहिए. आधा प्रतिशत की कटौती न तो इधर है और न ही उधर.’
क्या होता है रेपो रेट?
जिस रेट पर आरबीआई की तरफ से बैंकों को लोन दिया जाता है, उसे रेपो रेट कहते हैं. रेपो रेट बढ़ने का मतलब है कि बैंकों को आरबीआई से महंगे रेट पर लोन मिलेगा. इससे होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन आदि की ब्याज दर बढ़ जाएगी, जिसका आपकी ईएमआई पर सीधा असर पड़ेगा.