Bank of Baroda में शुरू होगा परमानेंट वर्क फ्रॉम होम? जल्द तैयार होगी पॉलिसी
Bank of Baroda: `आवश्यकता आविष्कार की जननी है` कोरोना काल में वर्क फ्रॉम होम कल्चर को दुनिया भर की कंपनियां अब New Normal की तरह देखने लगी हैं, और इसे अपने वर्किंग कल्चर में उतारने के लिए कदम बढ़ा चुकी हैं.
नई दिल्ली: Bank of Baroda: 'आवश्यकता आविष्कार की जननी है' कोरोना काल में वर्क फ्रॉम होम कल्चर को दुनिया भर की कंपनियां अब New Normal की तरह देखने लगी हैं, और इसे अपने वर्किंग कल्चर में उतारने के लिए कदम बढ़ा चुकी हैं. भारत में भी कंपनियां वर्क फ्रॉम होम को अपनाने के रास्ते और उसकी उपयोगिता को तौलने खंगालने में जुट गई हैं.
BoB में होगा परमानेंट वर्क फ्रॉम होम!
भारत में बैंक ऑफ बड़ौदा (Bank of Baroda news) अपने कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम (work from home) का ऑप्शन देने के लिए एक नई परमानेंट पॉलिसी पर काम कर रहा है. सरकारी क्षेत्र के इस बैंक में अगर यह नियम लागू होता है तो बैंक ऑफ बड़ौदा ऐसा करने वाला पहला बैंक हो जाएगा.
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McKinsey & Company को किया नियुक्त
बैंक ऑफ बड़ौदा ने इस काम का जिम्मा मैनेजमेंट कंसल्टेंसी फर्म मैकिन्से एंड कंपनी (McKinsey & Company) को दिया है. बैंक ऑफ बड़ौदा के BoB के MD और CEO संजीव चड्ढा ने कंसल्टेंसी फर्म की नियुक्ति के लिए संदर्भ की शर्तों के बारे में बताते हुए कहा कि ऐसा निर्देश था कि बैंक एक बदली हुई दुनिया में महामारी के बाद आगे कैसे काम कर सकता है. इस बारे में सलाह देने की बात थी.
वर्क फ्रॉम होम के लिए पॉलिसी पर काम
Time of India में छपी खबर के मुताबिक, BoB के MD और CEO संजीव चड्ढा का कहना है कि अगर हमारे कर्मचारी घर से काम करें, जहां वे एक या दो दिनों के लिए ऑफिस आएं, तो हम इसे कैसे लागू कर सकते हैं. हम कर्मचारियों के संसाधनों का बेहतर उपयोग कैसे कर सकते हैं? उन्हें लचीलापन कैसे प्रदान कर सकते हैं. इसे लेकर पॉलिसी बनाने पर विचार कर रहे हैं.'
तीसरी तिमाही में BoB के अच्छे नतीजे
BoB के MD और CEO संजीव चड्ढा तीसरी तिमाही के फाइनेंशियल रिजल्ट्स की घोषणा करते हुए बैंक की स्ट्रैटेजी के बारे में बोल रहे थे. बैंक ऑफ बड़ौदा ने बुधवार को दिसंबर 2020 में खत्म हुए तिमाही के लिए 1,061 करोड़ रुपये का नेट प्रॉफिट हासिल किया है, जबकि पिछले साल की इसी अवधि में बैंक को 1,407 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था.
ग्राहक के टचप्वाइंट या आउटलेट पर फोकस करेगा बैंक
उन्होंने कहा कि ब्रांच में आने वाले कस्टमर्स की संख्या कम हो गई थी और लोगों की आदतों में यह शुमार हो गया है. उनका कहना है कि बैंक को ऐसी दुनिया के लिए तैयार रहना चाहिए जहां ब्रांच में कस्टमर्स के न आने और उसकी बजाए बैंक ग्राहक के टचप्वाइंट या आउटलेट पर ध्यान फोकस करे. बैंक के ब्रांच की संख्या 25,000 है.
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