Bank Privatization Update: बैंकों के निजीकरण पर सबसे बड़ा अपडेट! सरकार बदल सकती है अपना फैसला! जानिए नया प्लान
Bank Privatization Update: देश में निजीकरण को लेकर तेजी से काम हो रहा है. अब इस क्रम में सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों का प्राइवेटाइजेशन (Bank Privatization 2022) भी होने जा रहा है. इसी बीच सरकार ने निजीकरण के अपने प्लान में कुछ बदलाव करने की तैयारी कर रही है. आइये जानते हैं लेटेस्ट अपडेट.
Bank Privatisation: सरकारी बैंको (PSU Banks) के निजीकरण पर बड़ा अपडेट है. दरअसल, अब सरकार ने बैंकों के निजीकरण के प्लान में बदलाव कर दिया है. अब सरकार इन बैंकों में अपनी हिस्सेदारी पूरी तरह खत्म करना चाहती है. अब तक सरकार कुछ बैंको का ही निजीकरण करने वाली थी. अब सरकार इसके कानून में संशोधन करेगी. अभी के कानून के अनुसार, सरकारी बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी कम से कम 51% जरुर होना चाहिए.
सरकार नियम में करेगी संशोधन!
इकॉनोमिक टाइम्स के अनुसार, सरकार संसद के मानसून सेशन में इस बिल को पेश कर सकती है. अगर ये बिल पास होता है तो सरकार सभी बैंको का निजीकरण कर सकेगी. अभी बैंकिंग कम्पनीज एक्ट 1970 (एग्जीबिशन एंड ट्रांसफर ऑफ अंडरटेकिंग) के अनुसार, किसी भी बैंक का कंट्रोल सरकार के पास ही रहेगा. यानी सरकार इसे पूरी तरह प्राइवेट नहीं कर सकती. दरअसल, सरकार बैंकों के निजीकरण का फैसला पहले ही कर चुकी है. लेकिन अब तक सर्कार इन बैंकों में अपनी 26% हिस्सेदारी रखना चाहती थी.
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नया बिल हो सकता है पेश
आपको बता दें कि साकार 2021 के संसद के शीतकालीन सत्र में ही बैंकिंग लॉज अमेंडमेंट बिल पेश करने वाली थी, लेकिन किसी वजह से ये बिल पेश नहीं किया गया था. लेकिन फिर फरवरी में बजट सत्र के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दो सरकारी बैंकों के निजीकरण की बात कही थी.
ये बैंक होंगे पहले प्राइवेट
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकार सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया और इंडियन ओवेरसीजबैंक के निजीकरण पर विचार कर रही है. आपको बता दें कि पहले ही निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) फिलहाल अमेरिका में आईडीबीआई बैंक की बिक्री के लिए रोड शो कर रहा है. यानि इसका प्रोसेस शुरू भी हो गया है. दरअसल, IDBI का गठन बैंकिंग कम्पनीज एक्ट 1956 के आधार पर हुआ था.
सरकार का बड़ा प्लान
दरअसल, सरकार छोटे सरकारी बैंकों का विलय कर बड़े बैंको को बनाने की कोशिश कर रही है. इसके तहत कई सरकारी बैंकों का विलय भी हो चूका है. सिंडिकेट बैंक का विलय केनरा बैंक में हो गया है. यानी सरकार बैंकों की संख्या कम करने की कोशिश में लगी है.
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