नई दिल्ली : स्विस बैंक खातों में रखे भारतीयों के कालेधन की वापसी से देश के विदेशी मुद्रा भंडार में 30 अरब डालर की वृद्धि हो सकती है। बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच (बोफा-एमएल) की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है। इस वैश्विक वित्तीय सेवा प्रमुख के अनुसार मामले में कानूनी दांव पेंच शामिल होने की वजह से हालांकि, विदेशी मुद्रा भंडार पर तुरंत इसका कोई असर नहीं होगा लेकिन यदि इस धन की वापसी होती है तो देश के विदेशी मुद्रा भंडार में 30 से 35 अरब डालर की वृद्धि हो सकती है।


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बोफा-एमएल ने यह अनुमान हाल में जारी एक शोध रिपोर्ट के आधार पर लगाया है जिसमें भारत से विदेशों में बैंकों में करीब 200 अरब डालर की राशि रखी होने का अनुमान लगाया गया है। इस शोध अध्ययन के अनुसार आस्ट्रेलियाई राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के राघवेन्द्र झा और डुक न्गुयेन ट्रांग ने भारत से वर्ष 1998 से 2012 के बीच कुल 186 अरब डालर की पूंजी विदेश भेजे जाने का अनुमान लगाया है।


 


बोफा-एल ने एक शोध नोट में आज कहा, ‘इसमें से यदि आधी राशि को भी वापस लाया जाता है तो इससे विदेशी मुद्रा भंडार में 30 से 35 अरब डालर की राशि जुड़ सकती है। इतनी राशि से तीन से चार माह का आयात कवर उपलब्ध हो सकता है।’ केन्द्र सरकार ने कालेधन के मामले में आज जिनेवा के एचएसबीसी बैंक खातों में धन रखने वाले 627 भारतीय खाताधारकों के नाम की सूची उच्चतम न्यायालय को सौंप दी। उच्चतम न्यायालय ने विशेष जांच दल को इन नामों की सूची सौंपते हुये कानून के अनुसार उचित कारवाई करने को कहा है।