Budget 2024: हर साल केंद्र सरकार अपने हिसाब-किताब का पूरा ब्यौरा देती है. बजट के जरिए वो अपने खर्चे-आमदनी का पूरा हिसाब लोगों के सामने रखती है. हर वित्त वर्ष से पहले सरकार आम बजट पेश करती है. ये बजट जितना सरकार के लिए जरूरी है, उतना ही आम लोगों के लिए भी जरूरी है या यूं कहें कि देश का बजट ही आपके घर के बजट को तय करता है. 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वित्त वर्ष 2023-24 का बजट पेश करेंगी. हर बार बजट से लोगों की उम्मीदें जुड़ी रहती हैं. लोग लुभावनी घोषणाओं, राहत की घोषणाओं की उम्मीद लगाकर बैठे रहते हैं, लेकिन जरूरी नहीं है कि हर बार बजट आपकी उम्‍मीदों पर खरा उतरे. ऐसा ही एक बजट साल वित्त वर्ष 1973-74 में पेश किया गया था. इस बजट को ब्लैक बजट (Black Budget) का नाम दिया गया. 


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क्या होता है ब्लैक बजट?
जब आमदनी से अधिक खर्च हो जाए तो आप घाटे में चले जाते हैं. ठीक उसी तरह जब सरकार का खर्च उसकी कमाई की तुलना में ज्यादा होता है, तो सरकार को स्थिति संभालने के लिए को बजट में कटौती करनी पड़ती है. जिसे 'ब्लैक बजट' का नाम दिया गया.  आजादी के बाद एक दौर ऐसा भी आया था जब देश संकट में पहुंच गया था. देश की आर्थिक हालात इतनी खराब हो गई थी कि तत्कालीन सरकार ने 550 करोड़ घाटे का बजट पेश किया था. 


क्यों पेश करना पड़ा था ब्लैक बजट 


साल 1973 के दौरान देश की आर्थिक हालात खराब हो गई थी. देश आर्थिक संकट से जूझ रहा था. पाकिस्तान से युद्ध कर बंग्लादेश को अलग करने के चलते सरकार की आर्थिक सेहत खराब हो चुकी थी. देश का जीडीपी आधे फीसदी पर पहुंच गया था. युद्ध के साथ ही मानसून की नाराजगी के चलते फसलों को भारी नुकसान हुआ. सरकार की कमाई कम होती चली गई. खर्च और आमदनी की खाई बढ़ती चली गई. हर तरफ से घिरी सरकार भारी घाटे में चल रही थी. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार में वित्त मंत्री यशवंतराव बी चव्हाण ने 550 करोड़ के घाटे का बजट पेश किया था. ये बजट देश का पहला और एकलौता ब्लैक बजट था. उस वक्त खेती प्रभावित हुई थी. इन जटिल परिस्थितियों में सरकार की इनकम कम और खर्च ज्यादा हो गया था. जिसकी वजह से इंदिरा गांधी की सरकार ने ब्लैक बजट करने का फैसला किया. ब्लैक बजट में सरकार ने सामान्य बीमा कंपनियों, भारतीय कॉपर कॉरपोरेशन और कोल माइन्स के राष्ट्रीयकरण की घोषणा की थी. सरकार ने इसके लिए 56 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था.