Mizoram Government: भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने मिजोरम सरकार को कई अहम बातें कही है. साथ ही कैग ने खर्चों को लेकर भी सरकार को जांच की बात कही है. भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने मिजोरम सरकार से कहा है कि राज्य के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के जरिए 5.3 करोड़ रुपये के ''टालने योग्य खर्चों'' की जांच जरूरी है.


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कैग की रिपोर्ट
मुख्यमंत्री जोरमथांगा ने गुरुवार को विधानसभा में कैग की रिपोर्ट पेश की. इसमें कहा गया है कि चिकित्सालय एवं चिकित्सा शिक्षा निदेशालय (डीएचएमई) ने नौ अस्पतालों में नवीकरणीय ऊर्जा और जल उपचार संयंत्र की स्थापना के लिए 2012 में इंटरजेन एनर्जी लिमिटेड (आईजीईएल) के साथ एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए थे. यह समझौता दिल्ली स्थित फर्म के जरिए दिए गए प्रस्तावों के आधार पर किया गया.


किया भुगतान
डीएचएमई के रिकॉर्ड के अनुसार फर्म ने पांच अस्पतालों में 50 लाख रुपये की कुल लागत से जल उपचार संयंत्र स्थापित किए. कंपनी को मार्च 2012 और फरवरी 2014 के बीच भुगतान किया गया. दिल्ली स्थित कंपनी ने चार अस्पतालों को चार महीने से लेकर दो साल तक पानी उपलब्ध कराया, और एक अस्पताल को पानी की आपूर्ति करने में विफल रही.


स्वास्थ्य विभाग
दूसरी ओर एमओयू में लिखा है कि कंपनी 10 साल के लिए पीने के पानी की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करेगी. कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि समझौते में जुर्माने के प्रावधान के बावजूद स्वास्थ्य विभाग ने आईजीईएल के खिलाफ कदम नहीं उठाया और जून 2019 में एक और समझौता किया. इस बार डीएचएमई ने दो किस्तों में 4.8 करोड़ रुपये का भुगतान किया, हालांकि कंपनी एक बार फिर शर्तों पर खरी नहीं उतरी. (इनपुट: भाषा)


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