Tax On Life Insurance: जीवन बीमा इस बात को सुनिश्चित करता है कि परिवार के किसी शख्स की मृत्यु के बाद उसके परिवार को आर्थिक दिक्कतों का सामना न करना पड़े. जीवन बीमा हो तो कुछ नियमों के मुताबिक अगर बीमा वाले व्यक्ति की किसी बीमारी या हादसे में मृत्यु हो जाती है तो बीमा कंपनी द्वारा मृत व्यक्ति के परिवार को पैसा दिया जाता है. इसके अलावा जीवन बीमा के जरिए टैक्स में भी बचत की जा सकती है. आइए जानते हैं कि किन स्थितियों में जीवन बीमा पर टैक्स लिया जा सकता है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

कौन कर सकता है टैक्स में छूट का दावा


आयकर अधिनियम के धारा 2 के मुताबिक ही टैक्स में कटौती और उसका कैल्कुलेशन किया जाता है. अगर आप जीवन बीमा पर एक साल के भीतर 1.50 लाख रुपये तक का खर्च करते हैं तो टैक्स में छूट का दावा कर सकते हैं. टैक्स में छूट मिलने के लिए ये भी जरूरी है कि आपने मेच्योरिटी पर मिलने वाली राशि का 10 प्रतिशत से ज्यादा न लिया हो. अगर मेच्योरिटी में 10 प्रतिशत से ज्यादा रकम मिली हो तो टैक्स में छूट नहीं मिल सकती है. यानी कि ऐसी स्थिति में आपको बीमा के लिए टैक्स का भुगतान करना होगा. सामान्य व्यक्ति के लिए मेच्योरिटी की रकम की लिमिट 10 प्रतिशत जबकि किसी दिव्यांग या फिर कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से जूझ रहे व्यक्ति के लिए ये लिमिट 15 प्रतिशत तक है. 2003 से 2012 के बीच में पॉलिसी लेने वालों के लिए मेच्योरिटी की सीमा 20 प्रतिशत तक है. 


बीमा राशि पर नहीं लगेगा टैक्स


धारा  10 के सेक्शन डी के मुताबिक मौत के बाद मिलने वाली बीमा राशि के ऊपर टैक्स नहीं लगाया जा सकता है. ये टैक्स डेथ बेनिफिट राशि या फिर मेच्योरिटी पर लगाया जा सकता है. मेच्योरिटी बेनिफिट्स पर टैक्स देना पड़ सकता है. अगर आपने 2012 के बाद पॉलिसी ली है तो इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स देना पड़ता है. 


ये ख़बर आपने पढ़ी देश की नंबर 1 हिंदी वेबसाइट Zeenews.com/Hindi पर